Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Oct, 2017 03:55 PM
नोटबंदी के वक्त बड़ी संख्या में फर्जी कपंनियों के नाम पर बैंकों में पैसा जमा करवाने वाले लोग नए कंपनी लॉ के तहत बड़ी मुसीबत में फंस सकते है। उन्हें इसके लिए क्रिमिनल केस का भी सामना करना पड़ सकता है। फर्जी कपंनियों के जरिए ब्लैक मनी को सफेद करने...
नई दिल्ली : नोटबंदी के वक्त बड़ी संख्या में फर्जी कपंनियों के नाम पर बैंकों में पैसा जमा करवाने वाले लोग नए कंपनी लॉ के तहत बड़ी मुसीबत में फंस सकते है। उन्हें इसके लिए क्रिमिनल केस का भी सामना करना पड़ सकता है। फर्जी कपंनियों के जरिए ब्लैक मनी को सफेद करने वालें लोगों के खिलाफ सरकार का यह एक्शन एक शुरुआत हो सकती है। कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने रिटर्न फाइल न करने वाली 2 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्रालय इन पर नए कंपनीज ऐक्ट के सेक्शन 447 के तहत कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। फ्रॉड करने के मामलों में इस सेक्शन के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।
होगी 10 साल की सजा
इस कानून के मुताबिक फ्रॉड के केस में दोषियों को 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती है, इसके अलावा जितने राशि के फ्रॉड का आरोप है, उतने तक का ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। किसी चीज को छिपाना या जानकारी न देना फ्रॉड के दायरे में आता है। सूत्रों ने बताया कि कंपनियों को डीरजिस्टर करने वाले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की ओर से इस पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा जांच के जरिए ऐसी कंपनियों को मिलने वाले फंड के स्रोतों का भी पता लगाया जाएगा। इसके बाद ऐसे डायरेक्टर्स पर बैन भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा ऐसी कंपनियों के बैंक खाते भी फ्रीज किए जा सकते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग का शक
राजस्व विभाग और कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री साथ मिलकर शेल कंपनियों पर ऐक्शन का खाका तैयार कर रहे हैं। इन कंपनियों का कारोबार तो बेहद छोटा है, लेकिन इन्हें कंपनियों के मकड़जाल के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने की आशंका है। सरकार को संदेह है कि ऐसी तमाम कंपनियों को नोटबंदी के दौरान पैसा जमा करने के लिए इस्तेमाल किया गया, जिसे बाद में निकाल लिया गया।टैक्स डिपार्टमेंट के शुरुआती डेटा के मुताबिक 6,000 से कंपनियों के बैंक खातों से 4,600 करोड़ रुपए तक की हेराफेरी की गई। कुछ कंपनियों के पास 900 बैंक खाते हैं। एक टैक्स अधिकारी ने कहा, 'कई बैंक खाते होना अवैध नहीं है, लेकिन हमें यह साबित करने की जरूरत होगी कि यह रकम ज्ञात स्रोतों से ही हासिल हुई है।'