मौनी अमावस्याः गंडक नदी तट पर पहुंचा लाखों श्रद्धालुओं का जत्था, लगा रहे आस्था की डुबकी

Edited By Ramanjot, Updated: 11 Feb, 2021 11:24 AM

batch of lakhs of devotees reached gandak river bank

मौनी मावस्या पर त्रिवेणी संगम तट पर नारायणी गंडक नदी में स्नान के लिए भक्तों की भीड़ जुटी है। बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल से मौनी अमावस्या के मौके पर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित त्रिवेणी संगम तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दोनों देशों के छोर पर...

बगहाः भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में गंडक नदी तट पर प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मौनी अमावस्या माघ मेला में लाखों श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा है। माघ महीने के मौनी अमावस्या के मौके पर लगने वाले माघ मेला को लेकर श्रद्धालु भारत- नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर के त्रिवेणी संगम तट पर पहुंचे हैं जहां आस्था की डुबकी लगाई जा रही है और गौदान, तिल के साथ चावल और रुपए दान किया जा रहा है। यहां नारायणी गंडक नदी में श्रद्धालु स्नान कर गौ दान में जुटे हैं जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

PunjabKesari

माघ मेला में हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां भारत-नेपाल दोनों देशों से पहुंचते हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से बॉर्डर बंद होने से नेपाल के लोग भारत में और भारत के लोग नेपाल सीमा में नहीं जा सके हैं। कड़ाके की ठंड और सर्दी के बावजूद गंगा स्नान को लेकर आस्था भारी पड़ रहा है। मौनी मावस्या पर त्रिवेणी संगम तट पर नारायणी गंडक नदी में स्नान के लिए भक्तों की भीड़ जुटी है। बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल से मौनी अमावस्या के मौके पर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित त्रिवेणी संगम तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दोनों देशों के छोर पर पहुंचे हैं। इस दौरान वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी गुलजार है। हिमालय की गोद से निकलने वाली गंडक नदी को नेपाल में शालीग्राम और काली गंडकी के नाम से जाना जाता है।

PunjabKesari

गंडक नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसके गर्भ में शालीग्राम पत्थर पाया जाता है। इस नदी में सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी का पवित्र मिलन होता है, यही वजह है कि इसे प्रयागराज के बाद देश का दूसरा त्रिवेणी संगम होने का गौरव प्राप्त है। आज जब माघ मौनी अमावस्या का दिन भगवान विष्णु की पूजा की जा रही है तो शालीग्राम नदी जिसको गंडक, सप्त गंडकी और सदानीरा के नाम से भी जाना जाता है उसमें स्नान के बाद दान का महत्व खास बढ़ जाता है। मौनी अमावस्या पर्व में मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान दान की परंपरा खास है। यहां भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु स्नान के बाद तिल, तिल के बने लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र, नगदी समेत दूध देने वाली गाय का दान कर भक्त और श्रद्धालु पुण्य के भागीदार बन रहे हैं।

पौराणिक धारणाओं के अनुसार, माघ मास में गोचर करते हुए भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है। बॉर्डर अभी सील है इस लिहाज से पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवान भी सीमा पर तैनात है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!