LJP में जारी घमासान के बीच चिराग ने लिखा खुला पत्र, CM नीतीश एवं चाचा पशुपति का किया घेराव

Edited By Ramanjot, Updated: 22 Jun, 2021 08:10 PM

chirag wrote an open letter amidst the ongoing tussle in ljp

इस पत्र के जरिए चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज को जवाब दिया है। साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार के भरोसे पर भी सवाल खड़ा किए हैं। उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीतीश कुमार का असल चेहरा दिखाने की कोशिश की है।...

पटनाः दो गुटों में बंट चुकी लोक जनशक्ति पार्टी में सियासी घमासान जारी है। पार्टी में हुई टूट के लिए कहीं न कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हालांकि पारस गुट नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांध रहा है। इधर, पार्टी में दो फाड़ होने के बाद चिराग पासवान पहले से भी ज्यादा आक्रशित हो गए हैं। इसी बीच उन्होंने आज चार पन्नों का एक खुला पत्र लिखा है।
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इस पत्र के जरिए चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज को जवाब दिया है। साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार के भरोसे पर भी सवाल खड़ा किए हैं। उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीतीश कुमार का असल चेहरा दिखाने की कोशिश की है। चिराग पासवान ने पत्र में लिखा कि जदयू ने हमेशा लोजपा को तोड़ने का काम किया है। आज लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों को तोड़ जदयू ने अपनी बांटो और शासन करो की नीति को दोहराया है।
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चिराग ने आगे कहा कि पापा ने कभी भी नीतीश कुमार के साथ कोई समझौता नहीं किया। 2014 में हमारा गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के साथ था तब नीतीश कुमार जी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुए थे। 2017 में जब नीतीश कुमार वापस रातों रात एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने तो इससे पापा काफी विचलित थे और नीतीश कुमार के साथ काम करने में सहज नहीं थे। परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में विश्वास रखते हुए और गठबंधन की मर्यादा को निभाते हुए 2019 लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार के साथ लड़ने का फैसला लिया गया। लोकसभा के चुनाव में हमारे 6 सांसदों को हराने मे जनता दल यूनाइटेड के नेताओं में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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लोजपा नेता ने कहा कि मुझे ताज्जुब होता है कि पार्टी से निष्कासित नेता एक ऐसे व्यक्ति के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं, जिन्होंने हमेशा हमारे नेता रामविलास पासवान जी और बिहार की जनता को धोखा देने का काम किया है। नीतीश कुमार यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई दलित नेता राजनीति में आगे बढ़े। इसके आगे चिराग ने चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज को जवाब देते हुए कहा कि चाचा मुझसे यह सवाल पूछ रहे हैं कि मैंने उन्हें बिहार के अध्यक्ष पद से क्यों हटाया। उन्होंने कहा कि जब पशुपति पारस को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया, उस वक्त लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान थे। पापाा ने मुझ में और प्रिंस में कभी कोई फर्क नहीं समझा। पापा चाहते थे कि उनके रहते और चाचा जी के मार्गदर्शन में प्रिंस अपनी जिम्मेदारियों को समझ ले। इसीलिए उन्होंने चाचा की जगह प्रिंस को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया।
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चिराग पासवान ने अंत में लिखा कि मैं मजबूती से हर राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हूं और अपने अगले पत्र में पार्टी के संविधान एवं सिद्धांतों की जानकारी आप सबके साथ साझा करूंगा ताकि आप सबको भी ये विश्वास रहे कि हम लोग कानूनी तौर पर कितने मजबूत है और पार्टी से निलंबित मुट्ठी भर लोग हम से हमारी पार्टी नहीं छीन सकते। मैं आपसे वादा करता हूं कि लोक जनशक्ति पार्टी हमारी थी और हमारी रहेगी।

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