Edited By Ramanjot, Updated: 13 Aug, 2022 02:20 PM
इसके संकेत शुक्रवार शाम को तब मिले जब महागठबंधन के चौथे सबसे बड़े घटक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के विधायक ने मुख्यमंत्री को उनके आवास पर जदयू का वास्तविक नेता करार दिया। भाकपा (माले) के विधायक संदीप सौरव ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री...
पटनाः जदयू द्वारा भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रहने के दौरान जिस समन्वय समिति के गठन के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था, अब उसी तरह की समिति ‘महागठबंधन' के सुचारू रूप से काम करने के लिए बनाई जा सकती है। नीतीश कुमार के साथ आने के बाद ‘महागठबंधन' अब बिहार में सत्ता में है।
इसके संकेत शुक्रवार शाम को तब मिले जब महागठबंधन के चौथे सबसे बड़े घटक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के विधायक ने मुख्यमंत्री को उनके आवास पर जदयू का वास्तविक नेता करार दिया। भाकपा (माले) के विधायक संदीप सौरव ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री समन्वय समिति के पुरजोर तरीके से पक्ष में हैं और हम भी ऐसा ही महसूस करते हैं। गठबंधन के किसी घटक को इसपर आपत्ति नहीं है। इसलिए, इसका गठन उचित समय पर होगा।''
उल्लेखनीय है कि जदयू और भाजपा में तनावपूर्ण रिश्ते चल रहे थे, तब कई नेताओं ने समन्वय समिति के गठन पर जोर दिया था जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय बनी थी और जिसके संयोजक जॉर्ज फर्नांडिस थे। जदयू नेताओं का मानना है कि इस तरह की समिति नहीं होने की वजह से घटकों के पास एक दूसरे के प्रति अपना विरोधी मत रखने के लिए कोई मंच नहीं था, जिसकी वजह से नेता मीडिया के सामने जाते थे और दलों के रिश्तों में खटास आती थी।