Edited By Ramanjot, Updated: 11 Apr, 2021 01:25 PM
बिहार विधानसभा के 2020 के चुनाव के समय बड़ी संख्या में भाजपा के नेताओं ने लोजपा का दामन थामा था। इस तरह टिकट की लालच में अन्य दलों के नेता भी लोजपा में शामिल हुए थे। वैसे नेता जो चुनाव के समय लोजपा में शामिल हुए थे वह अपने को अब अलग कर रहे हैं। सबसे...
पटनाः बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में शून्य पर सिमटी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी से अपने को अलग कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं।
बिहार विधानसभा के 2020 के चुनाव के समय बड़ी संख्या में भाजपा के नेताओं ने लोजपा का दामन थामा था। इस तरह टिकट की लालच में अन्य दलों के नेता भी लोजपा में शामिल हुए थे। ऐसे कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल कराकर लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान का एक ही उद्देश्य था सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवारों को चुनाव में पराजित करना। वैसे नेता जो चुनाव के समय लोजपा में शामिल हुए थे वह अपने को अब अलग कर रहे हैं। सबसे पहले भाजपा के कद्दावर नेता रहे और लोजपा के टिकट से चुनाव लड़े रामेश्वर चौरसिया ने अपने आप को अलग कर लिया। इसके बाद से अब कई अन्य नेता भी उसी कतार में खड़े हैं।
लोजपा की पिछले दिनों हुई बैठक में वैसे कई बड़े नेता जो चुनाव के समय पार्टी में शामिल हुए थे बैठक से अलग रहे। बैठक में शामिल नहीं होने पर लोजपा ने चुनाव में प्रत्याशी रहे 14 उम्मीदवारों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। यह बैठक इस वर्ष के 28 फरवरी को हुई थी। जिन उम्मीदवारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था उनमें तेघड़ा विधानसभा से उम्मीदवार रहे ललन कुमार, केसरिया से रामचरण यादव, दिनारा से राजेंद्र सिंह, अलौली से रामचंद्र सदा, विभूतिपुर से चंद्रबली ठाकुर, अमरपुर से मृणाल शेखर, कल्याणपुर से मोना प्रसाद, कस्बा से प्रदीप कुमार दास, बरारी से विभाष चंद्र चौधरी, कदवा से चंद्रभूषण ठाकुर, रानीगंज से परमानंद ऋषिदेव, सिंघेश्वर से अमित कुमार भारती, परबत्ता से आदित्य कुमार शौर्य और बेनीपुर से राम विनोद शामिल हैं।