बिहार विधानपरिषद में विपक्ष का हंगामा, नीतीश कुमार को चूड़ियां दिखाकर जताया विरोध

Edited By Nitika, Updated: 24 Mar, 2021 04:05 PM

opposition uproar in bihar assembly

बिहार विधान परिषद में कांग्रेस और राजद सदस्यों ने विधानसभा तथा विधानमंडल परिसर में मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के साथ पुलिस के मारपीट किए जाने को लेकर आज भारी शोरगुल एवं नारेबाजी हुई, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 5 मिनट बाद ही भोजनावकाश तक के लिए...

 

पटनाः बिहार विधान परिषद में कांग्रेस और राजद सदस्यों ने विधानसभा तथा विधानमंडल परिसर में मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के साथ पुलिस के मारपीट किए जाने को लेकर आज भारी शोरगुल एवं नारेबाजी हुई, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 5 मिनट बाद ही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। वहीं विपक्षी विधायकों ने सदन के बाहर अपना समानान्‍तर सत्र शुरू कर दिया है। उन्‍होंने विधानसभा में अपने उपाध्‍यक्ष पद के उम्‍मीदवार भूदेव चौधरी को अध्‍यक्ष चुना है। साथ ही मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पद से बर्खास्‍त कर दिया है।
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कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह के बुधवार को आसन ग्रहण करते ही कांग्रेस के प्रेमचंद्र मिश्रा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि मंगलवार को विधानसभा तथा विधानमंडल परिसर में जो कुछ भी घटना घटित हुई, वह अपने आप में शर्मनाक तथा लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय के समान है।
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इस बीच भारी हंगामे के बीच विधानसभा में पारित हो चुके पुलिस विधेयक को सरकार विधान परिषद में पेश करने जा रही है तो विपक्ष ने विधान परिषद में कार्य स्‍थगन प्रस्‍ताव पेश करने की घोषणा कर दी गई। अपराह्न काल में बिहार विधान परिषद में फिर हंगामा शुरू हो गया। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ही सदन में संजय सिंह और सुबोध कुमार के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई है। अपशब्दों का भी प्रयोग किया गया है। हाथापाई की नौबत भी आ गई, लेकिन एमएलसी दिलीप जायसवाल और संजीव कुमार सिंह ने बीच-बचाव किया। इतना ही नहीं एमएलसी सुबोध कुमार ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को चूड़ी दिखाई। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को चूड़ी पहनने को कहा। इसी बात पर सत्ता पक्ष के सदस्य आसन के सामने आए और विरोध जताया।
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वहीं कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के कई राज्यों में भी विधानसभाओं में कई बार ऐसी ही घटनाएं घटित हो चुकी हैं लेकिन बिहार विधानसभा तथा परिसर के अंदर जिस तरह से रैपिड एक्शन फोर्स एवं अन्य पुलिस के जवानों को प्रवेश की अनुमति दी गई तथा असहमति के स्वर प्रकट करने वाले विपक्षी विधायकों के ऊपर सदन के अंदर तथा परिसर के अंदर शर्मनाक तरीके से बल प्रयोग किया गया, यह लोकतंत्र के लिए विशेषकर माननीय के लिए न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण तथा अपमानजनक रहा बल्कि विधानमंडल के लिए एक काला अध्याय का कलंक के समान था।
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