2005 में पासवान ने नीतीश को दिया था 'राजनीतिक जख्म', 15 साल बाद भी कम नहीं हुए मतभेद

Edited By Nitika, Updated: 05 Oct, 2020 05:30 PM

paswan and nitish have differences since 2005

लोजपा ने एनडीए से अलग होकर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। साथ ही पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैचारिक मतभेद के कारण वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

 

पटनाः लोजपा ने एनडीए से अलग होकर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। साथ ही पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैचारिक मतभेद के कारण वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। जदयू को लेकर लोजपा की ओर से कही गई बात के बाद अब सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि दोनों पार्टियों के बीच 36 का आंकड़ा है। आईए हम आपको बताते हैं कि 15 साल पहले पासवान ने नीतीश को ऐसे कौन से 'राजनीतिक जख्म' दिए थे, जिससे वह आज भी कराह जाते हैं।

साल 2005 के फरवरी-मार्च में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव से ठीक पहले पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी लोक जनशक्ति (लोजपा) बना ली थी और चुनाव में अकेले उतर गए थे। उस दौरान नीतीश और भाजपा मिलकर लालू परिवार की सरकार उखाड़ने की मुहिम में जुटे थे। नीतीश चाहते थे कि रामविलास उनके साथ रहें ताकि इस मुहिम को बल मिल सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पासवान अलग हो गए और अकेले चुनाव मैदान में उतरे।

वहीं चुनाव परिणाम आने के बाद बिहार की जनता ने सत्ता की चाभी रामविलास को सौंप दी। उनकी पार्टी लोजपा के खाते में 29 सीटें आई। नीतीश ने एक बार फिर रामविलास के सामने साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन वह अपनी जिद्द पर अड़े रहे। रामविलास ने राज्य में मुस्लिम मुख्यमंत्री की डिमांड पर न नीतीश और न लालू परिवार को समर्थन दिया। इसी बीच रामविलास के लगभग 23 विधायक नीतीश को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। हालांकि नीतीश ने साफ तौर पर कह दिया कि वह किसी किस्म की तोड़फोड़ करके सरकार नहीं बनाएंगे। नीतीश ने भले ही रामविलास की पार्टी के विधायकों को अपने साथ नहीं लिया, लेकिन उनकी पार्टी में तोड़फोड़ की कोशिश से वह काफी दुखी हुए। दोनों नेताओं के बीच यहीं से मतभेद का दौर शुरू हो गया।

बता दें कि पासवान की जिद्द के चलते बिहार में किसी भी दल की सरकार नहीं बन पाई। इसके बाद 2005 अक्टूबर-नवंबर में मध्य अवधि में चुनाव हुए और भाजपा व जदयू की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। लोजपा मुश्किल से 10 सीटें जीत पाई। सरकार में आते ही नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान से हिसाब बराबर कर लिया। नीतीश सरकार ने बिहार में महादलित कैटेगरी बनाई, जिसमें लगभग हर दलित जातियों को शामिल किया गया, लेकिन पासवान जाति को बाहर रखा गया।
 

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