मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार का गठन नहीं होने पर पटना HC सख्त, राज्य सरकार को दिया अंतिम मौका

Edited By Ramanjot, Updated: 02 Apr, 2022 03:06 PM

patna hc strict on not formation of mental health authority

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार को पूरी तरह से चालू करने के लिए एक समय सीमा देने का निर्देश दिया और इसके...

पटनाः पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार के गठन और उसके कर्तव्यों का लाभ मानसिक रोगियों को नही पहुंचाने के मामले पर राज्य सरकार को एक अंतिम अवसर देते हुए चार दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार को पूरी तरह से चालू करने के लिए एक समय सीमा देने का निर्देश दिया और इसके लिए चार दिनों की मोहलत दी। न्यायाधीशों ने कहा कि यदि मेंटल हेल्थ केयर कानून जो 2017 में बना है, उसके अनुसार बिहार में मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार गठित कर पूरी तरह से चालू करने के सिलसिले में यदि चार दिनों में ठोस जवाब नहीं मिला तो न्यायालय को मजबूरन मुख्य सचिव समेत स्वास्थ्य महकमे के सबसे आला अफसर को तलब करना होगा।

अदालत ने इस बात पर हैरानी जताया कि जब कानून के अधिसूचित होने के 9 महीने के अंदर ही सभी राज्यों को मेंटल हेल्थ केयर ऑथोरिटी का गठन कर लेना था तो राज्य सरकार को इसमे चार साल क्यों लग गए। इस ऑथोरिटी का गठन राज्य स्तर पर मानसिक रोगियों की चिकित्सा सेवा, उन्हें समुचित जगह मुहैय्या कराने और उन्हें अमानवीय बर्ताव से बचाने तथा राज्य के मानसिक चिकित्सा संस्थान की देखरेख के लिए कानून जरूरी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी।

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