यूनेस्को की सूची में जगह दिलाने के लिए बिहार के ‘प्राचीन व्यापार मार्ग’ को प्रस्तावित करने का फैसला

Edited By PTI News Agency, Updated: 05 May, 2022 06:07 PM

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पटना, पांच मई (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पटना क्षेत्र (सर्कल) ने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में बिहार के उत्तरी गंगा क्षेत्र के साथ मौर्य और गुप्त काल के ‘‘प्राचीन व्यापार मार्ग’’ को शामिल करने के लिए...

पटना, पांच मई (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पटना क्षेत्र (सर्कल) ने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में बिहार के उत्तरी गंगा क्षेत्र के साथ मौर्य और गुप्त काल के ‘‘प्राचीन व्यापार मार्ग’’ को शामिल करने के लिए प्रस्तावित करने का निर्णय लिया है।

एएसआई,पटना क्षेत्र की अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान के साथ प्राचीन व्यापार मार्ग में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिलों में स्थित कई पुरातत्व स्थल शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन पुरातात्विक स्थलों में वैशाली जिला में बुद्ध अवशेष स्तूप (बुद्ध के भौतिक अवशेषों वाले आठ स्तूपों में से एक), मुजफ्फरपुर के कोल्हुआ में अशोक स्तंभ, पूर्वी चंपारण में केसरिया बुद्ध स्तूप, पूर्वी चंपारण के अरेराज में स्थित चार अशोक स्तंभ, पश्चिम चंपारण में रामपुरवा और नंदनगढ़ शामिल हैं।

भट्टाचार्य ने बताया कि उत्तर गंगा के मैदान के साथ यह व्यापार मार्ग मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) को नेपाल के दक्षिणी क्षेत्र से जोड़ता था। उन्होंने कहा कि इस प्राचीन व्यापार मार्ग को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल करने के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव भेजने का फैसला किया गया है।

उन्होंने बताया कि चूंकि बिहार में प्राचीन व्यापार मार्ग पर अवस्थित शहरों के अद्वितीय वैश्विक मूल्य हैं, इसलिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में इस मार्ग के शामिल होने के बाद उन्हें पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है।

उन्होने कहा, ‘‘हमने इसे संभावित सूची में शामिल करने के लिए एक मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। प्रस्ताव पहले नई दिल्ली स्थित एएसआई मुख्यालय को भेजा जाएगा और वहां से यह यूनेस्को को जाएगा।’’
मौर्य वंश (322-185 ईसा पूर्व) के शासन में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बहुत महत्व दिया गया था और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र में स्थित थी।

भट्टाचार्य ने कहा कि सम्राट अशोक के समय में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण में कई बौद्ध मंदिर, स्तूप और स्तंभ, जो बौद्ध धर्म के प्रति उनके समर्थन और बौद्ध दर्शन में विश्वास को दर्शाते हैं, का निर्माण किया गया था।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा बनने के लिए किसी भी विरासत या किसी ऐतिहासिक स्थल को पहले अस्थायी सूची में होना चाहिए। एक बार जब यह अस्थायी सूची में आ जाता है, तो विश्व धरोहर स्थलों की अंतिम सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाता है।

एएसआई के पटना क्षेत्र की इस पहल पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के कला, संस्कृति और युवा विभाग के अतिरिक्त सचिव सह निदेशक (पुरातत्व) दीपक आनंद ने कहा कि यह एएसआई द्वारा एक महान पहल है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में इस प्राचीन व्यापार मार्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
आनंद ने उम्मीद जताई कि एएसआई, पटना क्षेत्र के इस प्रस्ताव को यूनेस्को द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा और इस प्राचीन व्यापार मार्ग को विश्व धरोहर स्थल का टैग मिल जाएगा। पटना क्षेत्र में नालंदा और विक्रमशिला के अवशेष, शेरशाह का मकबरा (सासाराम), कुम्हरार (पटना), कोल्हुआ (मुजफ्फरपुर में) अशोक स्तंभ और रामपुरवा (पश्चिम चंपारण) सहित कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल शामिल हैं।


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