सुशील मोदी की मांग- सोशल मीडिया मंचों की निगरानी के लिए स्वतंत्र नियामक संस्था बनाए सरकार

Edited By Ramanjot, Updated: 14 Dec, 2021 04:00 PM

sushil modi demanded in rajya sabha

राज्यसभा में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए सुशील मोदी ने गूगल और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों द्वारा पेश किए जाने वाली विषय वस्तुओं के लिए जवाबदेही तय किए जाने की भी वकालत की और कहा कि यह कंपनियां कलनविधि (एल्गोरिद्म) की आड़ में छुप नहीं...

नई दिल्ली/पटनाः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र नियामक संस्था बनाए जाने की आवश्यकता जताई। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से बड़ी कंपनियों को विज्ञापन से होने वाली कमाई का उपयुक्त हिस्सा पारंपरिक भारतीय मीडिया कंपनियों के लिए सुनिश्चित किए जाने की मांग की।

"कलनविधि की आड़ में छुप नहीं सकतीं यह कंपनियां"
राज्यसभा में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए सुशील मोदी ने गूगल और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों द्वारा पेश किए जाने वाली विषय वस्तुओं के लिए जवाबदेही तय किए जाने की भी वकालत की और कहा कि यह कंपनियां कलनविधि (एल्गोरिद्म) की आड़ में छुप नहीं सकतीं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को ‘‘सेल्फ पोलिसिंग'' यानी खुद की नीति बनाने देना कारगर साबित नहीं हुआ है। मोदी ने कहा कि भारत में कुल डिजिटल विज्ञापन बाजार का 75 प्रतिशत हिस्सा गूगल और फेसबुक ले जाते हैं और पिछले पांच से सात वर्षों में यही हुआ है।

"पारंपरिक मीडिया की कीमत पर अमीर हो रही प्रौद्योगिकी कंपनियां"
सुशील मोदी कहा कि ये सोशल मीडिया मंच विज्ञापन से 23,213 करोड़ रुपए का विज्ञापन राजस्व (9326 करोड़ फेसबुक और 13887 करोड़ गूगल) कमाते हैं और यह देश के शीर्ष 10 सूचिबद्ध पारंपरिक मीडिया कंपनियों को विज्ञापनों से मिलने वाले संयुक्त राजस्व से भी ज्यादा है। इन भारतीय मीडिया कंपनियों को मिलने वाला राजस्व 8396 करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि अपने विज्ञापन पुनर्विक्रेता मॉडल के तहत फेसबुक कुल राजस्व का 90 प्रतिशत हिस्सा वैश्विक सहायक कंपनी को भेजता है जबकि गूगल इंडिया 87 प्रतिशत भेजता है। उन्होंने कहा, ‘‘मामला यह है कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां पारंपरिक मीडिया की कीमत पर अमीर होती जा रही हैं। भारतीय समाचार मंचों से पत्रकारीय विषय वस्तु के जरिए यह कंपनियां बड़ी धन राशि अर्जित कर रही हैं लेकिन वह उनकी खबरों के लिए उन्हें उपयुक्त लाभ नहीं देती हैं।''

"विज्ञापन पुनर्विक्रेता मॉडल पर काम करते हैं फेसबुक-गूगल"
ज्ञात हो कि फेसबुक इंडिया और गूगल इंडिया भारत में एक विज्ञापन पुनर्विक्रेता मॉडल पर काम करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे फर्म के अमेरिकी मुख्यालय की वैश्विक सहायक कंपनी से इन्वेंट्री खरीदते हैं और फिर उस विज्ञापन स्थान को भारत में अपने क्लाइंट को फिर से बेचते हैं। इसके लिए, वे अपने सकल विज्ञापन राजस्व का एक हिस्सा वैश्विक सहायक कंपनी को देते हैं, जिससे वह विज्ञापन स्थान खरीदते हैं। मोदी ने कहा कि फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों में गूगल जैसे सोशल मीडिया मंचों को पारंपरिक मीडिया कंपनियों को विषय वस्तु के इस्तेमाल के लिए भुगतान करना होता है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया ने एक कानून बनाकर बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए राजस्व की साझेदारी अनिवार्य की है।

"घृणा फैलाने वाली विषयवस्तु पेश करता है फेसबुक"
मोदी ने कहा कि फेसबुक के भारत में 34 करोड़ उपयोगकर्ता हैं और फेसबुक गलत और घृणा फैलाने जैसी दिक्कतें पैदा करने वाली विषयवस्तु भी पेश करता है। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में 40 प्रतिशत टॉप व्यू को फर्जी व अपुष्ट पाया था। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का अकाउंट ‘‘क्रिप्टो लॉबी ग्रुप'' द्वारा हैक कर लिया गया था और दावा किया गया था कि भारत में बिटकॉइन को कानूनी मान्यता को मंजूरी दी गई है। सुशील मोदी ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा मुद्दा है...डिजिटल युग में इस प्रकार की गलत सूचनाओं से देश व अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान होता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं भारत सरकार से मांग करता हूं कि वह डिजिटल मीडिया मंचों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए एक स्वतंत्र नियामक संस्था बनाए और डिजिटल मीडिया कंपनियां भ्रामक सूचनाओं व संबंधित सामग्रियों के नियंत्रण के लिए अपना बजटीय आवंटन बढ़ाएं।''

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!