Edited By Khushi, Updated: 16 May, 2024 04:35 PM
रांची के भगवान बिरसा जैविक उद्यान में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बाघिन के 4 नवजात शावकों की मृत्यु हो गई है। शावकों के शवों का पोस्टमार्टम रांची वेटनरी कॉलेज रांची के एचओडी डॉ. मधुरेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया।
रांची: रांची के भगवान बिरसा जैविक उद्यान में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बाघिन के 4 नवजात शावकों की मृत्यु हो गई है। शावकों के शवों का पोस्टमार्टम रांची वेटनरी कॉलेज रांची के एचओडी डॉ. मधुरेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया। इसके बाद, जैविक उद्यान के शवदाह गृह में जला दिया गया।
दरअसल, यह चिड़ियाघर, राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर ओरमांझी में एनएच-33 के बगल में है। इस चिड़ियाघर में गौरी नाम की बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया। इसके बाद बाघिन अपने चारों शावकों के ऊपर ही लेट गई, जिससे उनकी मौत हो गई। उद्यान प्रबंधन के अनुसार, जन्म के बाद शावकों को दूध पिलाने में बाघिन सहयोग नहीं कर रही थी। इसके साथ ही वह शावकों पर ही लेट गई। उद्यान प्रबंधन सीसीटीवी कैमरे की मदद से लगातार बाघिन पर नजर रख रहा था। जब लगा कि शावकों की जान को खतरा है तो उद्यान के कर्मचारी बाघिन के केज में पहुंचे। तब तक 3 शावकों की बाघिन के नीचे दबने से मौत हो चुकी थी। किसी प्रकार एक शावक को बाहर निकाला गया। लेकिन, बाद में उसकी भी मौत हो गई।
भगवान बिरसा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ ओपी साहू ने बताया कि एक शावक तो जन्म लेते ही मर गया था क्योंकि उसका आधा शरीर बाहर आने से पहले ही गौरी बैठ गई थी। पहले शावक की मौत होते ही उसको केज से हटा लिया गया। इसके बाद उसने एक-एक करके तीन और शावकों को जन्म दिया। सभी शावक हेल्दी थे, लेकिन पहली बार मां बनने की वजह से वह बच्चों का केयर नहीं कर पा रही थी। डॉ ओपी साहू ने बताया कि बच्चे दूध पीना चाह रहे थे। बच्चे जब दूध पीने के लिए मां के करीब पहुंचे तो वह उल्टा करवट उन्हीं पर लेट गयी। तीनों शावक अपनी मां के भारी भरकम शरीर के नीचे दब गये। सीसीटीवी में इस घटना को देखते ही जू प्रबंधन की टीम भागकर केज के पास पहुंची और शावकों को रेस्क्यू किया गया। तब तक 2 और शावकों की मौत हो चुकी थी। एक शावक सांसे ले रहा था। उसको हाथ से मिल्क फीड कराया गया, लेकिन वह भी ज्यादा देर जिंदा नहीं रह पाया।