हेमंत सोरेन के खिलाफ याचिका को योग्य ठहराने के मामले में शीर्ष अदालत से तत्काल सुनवाई की मांग

Edited By Diksha kanojia, Updated: 14 Jun, 2022 05:17 PM

demand for urgent hearing from the top court in the matter

झारखंड उच्च न्यायालय ने खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और परिजन एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों के जरिए लेनदेन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय ने गत...

 

रांचीः झारखंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मंगलवार को मांग की।

झारखंड उच्च न्यायालय ने खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और परिजन एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों के जरिए लेनदेन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय ने गत तीन जून को कहा था कि उसकी राय है कि रिट याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं और उनकी सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जाएगी। झारखंड सरकार ने न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि मामले पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता है। यह सूचित किए जाने के बावजूद कि तीन जून के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई है, झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले को 17 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

पीठ ने राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणभ चौधरी से कहा कि वह रजिस्ट्रार को याचिका के बारे में जानकारी दे, ताकि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री इसे सूचीबद्ध किए जाने को लेकर मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से आदेश ले सके। पीठ ने कहा, ‘‘आप संबंधित ब्यौरा दें। वे (रजिस्ट्री) आदेश ले लेंगे।'' दो अवकाशकालीन पीठ और मुख्य न्यायाधीश मामले को सूचीबद्ध करने के बारे में निर्णय लेंगे। चौधरी ने जब पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने की सूचना दिए जाने के बावजूद मामले को सुनवाई के लिए 17 जून के लिए सूचीबद्ध किया है, तो पीठ ने कहा, ‘‘यह रजिस्ट्री को बताएं।'' उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तीन जून को सुनाए आदेश में कहा था कि तमात दलीलें सुनने के बाद रिट याचिकाओं को केवल उनकी विचारणीयता के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता।

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 24 मई को इस बिंदु पर पहले उच्च न्यायालय को अपना फैसला देने को कहा था कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। मामले में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। पहली याचिका में मुख्यमंत्री के नाम पर खनन लाइसेंस आवंटित किए जाने को लेकर, जबकि दूसरी में सोरेन एवं उनके निकट संबंधियों द्वारा धनशोधन के लिए मुखौटा कंपनियों के संचालन के आरोप लगाए गए हैं। जनहित याचिका में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये गए हैं। सोरेन जब खनन मंत्री थे, उस वक्त सिंघल खनन सचिव थीं। सोरेन ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया है।

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