धनबाद में विजयदशमी की धूम: 8 जगहों पर होगा रावण दहन, सबसे ऊंचा पुतला सिंदरी के शहरपुरा में होगा

Edited By Khushi, Updated: 04 Oct, 2022 05:35 PM

dhoom of vijayadashami in dhanbad ravana combustion

धनबाद: 5 अक्टूबर दशमी के दिन दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। वहीं, झारखंड के धनबाद जिले में दशहरा मनाए जाने पर लोगों में काफी उल्लास है।

धनबाद: 5 अक्टूबर को दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। वहीं, झारखंड के धनबाद जिले में दशहरा मनाए जाने पर लोगों में काफी उल्लास है। यहां काेराेना काल के 2 वर्षों बाद रावण दहन होगा।

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8 जगहों पर किया जाएगा रावण का दहन
बता दें कि जिले में 8 जगहों पर रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। सबसे ऊंचे रावण का दहन सिंदरी के शहरपुरा शिव मंदिर प्रांगण में किया जाएगा। यहां रावण 65 फीट ऊंचा होगा। सिंदरी के कांड्रा बाजार, पाथरडीह के मोहन बाजार, कतरास के मलकेरा, बलियापुर, भूली, बरवाअड्डा और जिले के क्लब में भी रावण दहन होगा। जिले के भूली में 25 फीट रावण का पुतला तैयार किया है। जिले के पाथरडीह के मोहन बाजार में दशमी की अगली शाम को रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। यहां गुरुवार की शाम 7:00 बजे कार्यक्रम हाेगा। यहां रावण का 40 फीट ऊंचा पुतला तैयार किया गया है।

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सिंदरी में 65 फीट ऊंचा होगा रावण का पुतला 
कांड्रा मजदूर हाई स्कूल मैदान में लगभग 35 फीट का रावण का पुतला दहन होगा। बताया जा रहा है कि रावण दहन के पूर्व राम, लक्ष्मण व हनुमान की भव्य झांकी निकलेगी। यंग एसोसिएशन मोहन बाजार पाथरडीह की ओर से भी आतिश बाजी के साथ रावण दहन किया जाएगा। वहीं, बलियापुर के कलाकारों ने 40 फीट के रावण पुतला बनाया है। भौंरा गौर खूंटी मैदान में भी रावण दहन की तैयारी है। यहां भी 40 फीट ऊंचा रावण जलेगा। बाघमारा, परस बनिया व प्रधानखंता दुर्गा मंदिर प्रांगण में भी विजयादशमी के अवसर शाम को पूजा कमेटी की ओर से रावण दहन कार्यक्रम होगा।

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सिंदरी में पिछले 67 वर्षों से हो रहा रावण का दहन
रावण दहन महोत्सव कार्यक्रम सिंदरी के सचिव दिनेश सिंह ने बताया कि यहां पिछले 67 वर्षों से रावण दहन हो रहा है। सिंदरी में रावण दहन 1955 में भारतीय उर्वरक निगम के आगाज के समय शुरू हुआ। 1960 के दशक में अपने चरम पर पहुंच गया और 1970 के दशक तक कायम रहा। 1980 के दशक के आसपास भारतीय उर्वरक निगम के घाटे के समय चमक कम जरूर हुई, लेकिन रावण दहन कार्यक्रम अनवरत होता रहा। सिंदरी का रावण दहन कार्यक्रम जिले के साथ अविभाजित बिहार के समय से लोकप्रिय बना रहा।

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