ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली की स्थापना से झारखंड में कम हुई पलायन की दर: राज्य सरकार

Edited By Diksha kanojia, Updated: 26 Jun, 2021 02:49 PM

establishment of energy based irrigation reduced migration rate

बयान के मुताबिक पहले झारखंड के अधिकतर किसान मानसून के दौरान ही खेती करते थे और इसके बाद आजीविका की तलाश में राज्य या देश के अन्य हिस्सों में रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते थे, लेकिन ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली की स्थापना के साथ पलायन दर भी कम हो...

रांचीः झारखंड सरकार ने शुक्रवार को दावा किया कि राज्य में ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली की स्थापना से पलायन की दर कम करने में सफलता मिली है। यहां जारी एक सरकारी बयान में कहा गया कि राज्य सरकार कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास का लक्ष्य लेकर कार्य कर रही है, जिसका प्रतिफल है कि राज्य के किसान बहुफसलीय खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

बयान के मुताबिक पहले झारखंड के अधिकतर किसान मानसून के दौरान ही खेती करते थे और इसके बाद आजीविका की तलाश में राज्य या देश के अन्य हिस्सों में रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते थे, लेकिन ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली की स्थापना के साथ पलायन दर भी कम हो गई है और किसान साल में कई फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। बयान के मुताबिक अति पिछड़ा सिमडेगा जिला इसका उदाहरण है जहां कई इलाकों में गरीब किसानों के हित सौर आधारित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली लागू की गई है जिससे हजारों किसानों को सिंचाई की सुविध मिली।

सरकारी बयान में बताया गया कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का समावेश किया था जिसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। परियोजना अक्टूबर 2020 में शुरू की गई थी और सिर्फ सिमडेगा जिले में ही 105 से अधिक सौर-आधारित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे यहां के पांच हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।

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