High Court ने मुख्यमंत्री से पूछा- खनन पट्टा मामले में अपने पद का दुरुपयोग कैसे किया

Edited By Diksha kanojia, Updated: 09 Apr, 2022 10:49 AM

hc asked the cm  how did he misuse his position in the mining lease case

मुख्यमंत्री को खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में मुख्य न्यायाधीश डा रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने आज उन्हें और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्यमंत्री सह राज्य के खनन मंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पत्थर खनन का पट्टा अपने...

रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने नाम खनन पट्टा आवंटित कराने के मामले में शुक्रवार को नोटिस जारी करते हुए इसे बहुत ही गंभीर मामला बताया एवं मुख्यमंत्री से पूछा है कि आपने अपने पद का दुरुपयोग क्यों और कैसे किया। अदालत ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। 

मुख्यमंत्री को खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में मुख्य न्यायाधीश डा रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने आज उन्हें और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्यमंत्री सह राज्य के खनन मंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पत्थर खनन का पट्टा अपने नाम से आवंटित कराये जाने के खिलाफ दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह नोटिस जारी की। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। अदालत ने मुख्यमंत्री से पूछा है, ‘‘आपने अपने पद का दुरुपयोग क्यों और कैसे किया।'' मामले में अदालत ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। खंडपीठ ने आदेश दिया है कि मामले में अगली सुनवाई खनन मंत्री को नोटिस मिलने के बाद होगी। इस संबंध में शिव शंकर शर्मा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है।

सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री हैं और उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनगड़ा में पत्थर खनन की लीज के लिए आवेदन किया और उन्हें लीज भी आवंटित कर दी गई। याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन बताया जिसके अनुसार लाभ के पद पर रहते हुए कोई इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकता है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करने पर उस व्यक्ति की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रावधान है। इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि वर्ष 2008 में उन्हें यहीं पर खनन पट्टा मिला था जो 2018 में समाप्त हो गया।महाधिवक्ता के अनुसार इसके बाद सोरेन ने नवीकरण के लिए आवेदन दिया था, लेकिन शर्तों को पूरा नहीं करने पर उनका लीज नवीकरण रद्द कर दिया गया।

रंजन ने कहा कि इसके बाद उन्होंने सितंबर 2021 में लीज के आवंटन के लिए नए सिरे से आवेदन दिया था जिसके बाद विभाग की ओर से उन्हें लीज आवंटित कर दी गई, लेकिन जब मामला संज्ञान में आया तो फिर उन्होंने फरवरी 2022 में लीज सरेंडर कर दी। अदालत ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता से पूछा कि क्या मंत्री पद पर रहते हुए ऐसा करना संविधान और कानून का उल्लंघन नहीं था? पीठ ने कहा, ‘‘ यह स्थिति ठीक नहीं है। खनन मंत्री रहते हुए उन्होंने आवेदन दिया और विभाग ने उन्हें लीज आवंटित भी कर दिया। क्यों नहीं सीबीआइ से इसकी जांच कराई जाए जिससे पता चल सके कि आखिर खनन विभाग में क्या चल रहा है?'' अदालत ने टिप्पणी की कि लगता है वहां पर कुछ ठीक नहीं है।

ज्ञातव्य है कि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन के खिलाफ यह मामला दो माह पूर्व दस्तावेजों के साथ उठाया था जिस पर सरकार चौतरफा घिरी हुई है। रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि यह मामला अमानत में खयानत का है।

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