Edited By Diksha kanojia, Updated: 03 Aug, 2021 12:02 PM
न्यायालय ने कहा कि एससी-एसटी कानून की धारा 15 (ए) के तहत अदालत पीड़ित की बात सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस मामले में पीड़ित (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन) का पक्ष सुना जाए। राज्य सरकार द्वारा सुनवाई जारी रखने के बारे में...
रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर एक मामले में उनसे जवाब मांगा, जो एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है। इस मामले में आरोपी ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत देने का आग्रह किया है। मामले पर न्यायमूर्ति राजेश कुमार की अदालत में सुनवाई हुई।
न्यायालय ने कहा कि एससी-एसटी कानून की धारा 15 (ए) के तहत अदालत पीड़ित की बात सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस मामले में पीड़ित (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन) का पक्ष सुना जाए। राज्य सरकार द्वारा सुनवाई जारी रखने के बारे में कहने पर अदालत ने सोरेन को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए गढ़वा निवासी ऋषिकेश कुमार के खिलाफ एससी-एसटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ऋषिकेश के वकील ने अदालत में कहा कि उनके खिलाफ इस मामले में कोई आपराधिक मुकदमा नहीं बनता है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। अतिरिक्त महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत से कहा कि अगर कोई किसी को नीचा दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखता है तो एससी-एसटी कानून के प्रावधानों के तहत इसे आपराधिक मामला माना जाता है। इस सिलसिले में चार जून को गढ़वा में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इस पर अदालत ने मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया।