राज्यपाल के निर्देश पर लगाए उपद्रवियों के पोस्टर पर SSP को गृह सचिव ने भेजा नोटिस

Edited By Diksha kanojia, Updated: 16 Jun, 2022 02:51 PM

home secretary sent notice to senior superintendent of police on

राज्य सरकार और राजभवन में बढ़ती तनातनी का यह एक नया मामला प्रतीत होता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगबंर मोहम्मद को लेकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ रांची में 10 जून को हुई हिंसा में शामिल...

रांचीः रांची में गत शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई व्यापक हिंसा में शामिल उपद्रवियों की धर-पकड़ में तेजी लाने के लिए राज्यपाल के निर्देश पर मंगलवार को रांची पुलिस द्वारा उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाये जाने के बाद राज्य के गृह सचिव ने रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुरेन्द्र कुमार झा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।

राज्य सरकार और राजभवन में बढ़ती तनातनी का यह एक नया मामला प्रतीत होता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगबंर मोहम्मद को लेकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ रांची में 10 जून को हुई हिंसा में शामिल उपद्रवियों की पहचान तथा गिरफ्तारी के लिए राज्यपाल के निर्देशानुसार 14 जून की शाम को रांची में कुछ सार्वजनिक स्थलों पर पुलिस द्वारा उपद्रवियों की तस्वीर वाले पोस्टर एवं होर्डिंग लगाए गए थे। राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण एक्का ने बुधवार देर रात रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार झा को इस संबंध में नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का कहा है।

नोटिस में कहा गया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, ‘‘ दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण दें।'' नोटिस में नौ मार्च 2020 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश का उल्लेख करते हुए कहा गया, ‘‘ 10 जून को रांची में हुई घटनाओं में अवैध रूप से एकत्रित होने तथा हिंसा में कथित रूप से शामिल लोगों की तस्वीर वाले पोस्टर 14 जून को रांची पुलिस द्वारा लगाये गए, जिनमें कई लोगों के नाम एवं विवरण भी दिये गये हैं। यह कानून सम्मत नहीं है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा नौ मार्च 2020 को एक जनहित याचिका के संबंध में दिए आदेश का उल्लंघन है।'' गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव एक्का ने एक बयान में कहा कि उपरोक्त पारित आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सड़क किनारे लगे बैनर को तत्काल हटाने के निर्देश दिए थे।

एक्का ने कहा कि न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि बिना कानूनी अधिकार के लोगों की व्यक्तिगत जानकारी वाले बैनर सड़क किनारे न लगाएं। यह मामला और कुछ नहीं बल्कि लोगों की निजता में एक अनुचित हस्तक्षेप है। इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि राज्य की राजधानी में विभिन्न स्थानों पर पोस्टर लगाने के बाद पुलिस ने ‘‘तकनीकी त्रृटि'' के कारण इन्हें वापस ले लिया था। पुलिस ने कहा था कि वह त्रृटि को ठीक कर पोस्टर दोबारा जारी करेगी। 

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