Edited By Diksha kanojia, Updated: 16 Jul, 2021 12:57 PM
झारखण्ड में 40 प्रतिशत से अधिक कुपोषित बच्चे हैं, 30 प्रतिशत से अधिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहें हैं। आकंड़ों के अनुसार, झारखंड के दस लाख श्रमिक मजदूरी करने अन्य राज्य जाते हैं, कई जिलों में खेती की जमीन समाप्त हो गई है और 80 प्रतिशत लोग...
रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में गुरूवार को कहा कि किसी भी राज्य के लिए कार्य योजना बनाने से पहले उस राज्य में निवास करने वालों की मन:स्थिति को समझना आवश्यक है।
सोरेन ने नीति आयोग की ‘‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स और मल्टीडाईमेंशनल प्रॉपर्टी इंडेक्स'' विषय पर प्लानिंग एंड डेवलपमेंट डिपाटर्मेंट (झारखण्ड सरकार) की ओर से गुरुवार को यहां आयोजित कार्यशाला में कहा कि पूरे देश में एक जैसा फार्मूला लागू करना उचित नहीं होगा। अपनी सभ्यता और संस्कृति के माध्यम से भी आगे बढ़ा जा सकता है। झारखण्ड में 40 प्रतिशत से अधिक कुपोषित बच्चे हैं, 30 प्रतिशत से अधिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहें हैं। आकंड़ों के अनुसार, झारखंड के दस लाख श्रमिक मजदूरी करने अन्य राज्य जाते हैं, कई जिलों में खेती की जमीन समाप्त हो गई है और 80 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं। ऐसे में कैसे हम उन्हें आगे बढ़ाने का रास्ता देंगे। इस पर कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, लोगों की आय में बढ़ोतरी, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर कैसे आगे बढ़े। यह चुनौतीपूर्ण है। पूर्व में सिर्फ खनन और खनिज पर ही ध्यान केंद्रित किया गया और राज्य के दलित, वंचित और आदिवासी कई सवालों से घिरे रह गए। योजनाएं और बजट तो बनते हैं लेकिन वास्तविकता अलग है।