झारखंड के लोगों ने तब हक की लड़ाई लड़ी, जब दूसरों ने आज़ादी का सपना भी नहीं देखा था: CM हेमंत

Edited By Diksha kanojia, Updated: 16 Nov, 2021 02:10 PM

jharkhand fought their rights when others did not even dream of independence

सोरेन ने राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि झारखंड एक छोटा राज्य है लेकिन इसका अपना इतिहास है। राज्य के स्थापना दिवस पर महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्मदिन भी होता है। पंद्रह नवंबर 2000 को बिहार से झारखंड को अलग करके पृथक राज्य बनाया गया...

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को कहा कि झारखंड के लोगों ने ऐसे समय में अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है, जब देश के नागरिकों ने आजादी का सपना भी देखना शुरू नहीं किया था।

सोरेन ने राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि झारखंड एक छोटा राज्य है लेकिन इसका अपना इतिहास है। राज्य के स्थापना दिवस पर महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्मदिन भी होता है। पंद्रह नवंबर 2000 को बिहार से झारखंड को अलग करके पृथक राज्य बनाया गया था। मुख्यमंत्री ने दिवस को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “झारखंड के लोग अपने हक के लिए तब लड़ते रहे जब देश में लोगों ने आजादी का सपना भी देखना शुरू नहीं किया था। झारखंड के लोग किसी चीज से नहीं डरते क्योंकि उनके लिए जन्म लेते ही संघर्ष शुरू हो जाता है।”

सोरेन ने कहा, “देश की आजादी का सपना देखने से पहले यहां के लोगों ने जल, जंगल और जमीन के लिए लड़ाई लड़ी। झारखंड के वीर सपूतों को अपने देश और राज्य के गौरव के लिए लड़ने से कभी डर नहीं लगा... झारखंड को वीरभूमि के नाम से जाना जाता है।” उन्होंने कहा कि झारखंड के वीर सपूतों ने आने वाली पीढ़ियों के लिए भूमि और जंगलों और संरक्षित प्रकृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “आज हम चांद पर पहुंच चुके हैं और आगे भी जाने को तैयार हैं। लेकिन, भौतिकवादी खोज के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि हम अपने इतिहास को जानें और समझें। आइए हम अपनी भाषा और संस्कृति को बचाएं। झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। यहां के आदिवासी समुदाय ने कभी किसी के साथ भेदभाव, द्वेष नहीं किया । वे सभी को समान रूप से देखते हैं।”

सोरेन ने कहा कि बिरसा मुंडा मेमोरियल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा। यह आदिवासी नेता पर एक संग्रहालय है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिन में किया था। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे राज्य में ऐसे और भी वीर सपूत हैं और हम सबका प्रयास होना चाहिए कि उनके संघर्ष की कहानी को भी इस संग्रहालय में शामिल की जाए।” अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले बिरसा मुंडा का गिरफ्तारी के बाद 25 साल की उम्र में नौ जून 1900 में रांची जेल में निधन हो गया था। अब, रांची के पुराने जेल परिसर में बिरसा मुंडा स्मारक को "भगवान बिरसा मुंडा स्मारक उद्यान सह संग्रहालय" के रूप में विकसित किया गया है, जिसपर 142.31 करोड़ रुपए की लागत आई है। 

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