भू-रैयतों को जमीन की रसीद आसनी से मिले, इसलिए यूनिक कोड की व्यवस्था कर रही सरकार: CM

Edited By Umakant yadav, Updated: 19 Mar, 2021 03:47 PM

land receipts receipts from asani government is arranging a unique code

विधानसभा में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नीलकंठ सिंह मुंडा के एक ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री ने कि राज्य सरकार जमीन के सभी प्लॉटों के लिए यूनिक कोड की व्यवस्था कर रही है।

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि भू-रैयतों को जमीन की रसीद आसनी से मिले, इस दिशा में राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। सोरेन ने विधानसभा में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नीलकंठ सिंह मुंडा के एक ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राज्य सरकार जमीन के सभी प्लॉटों के लिए यूनिक कोड की व्यवस्था कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खाता-खतियान के सर्वे के माध्यम कर नये डिवाइस की व्यवस्था की जा रही है, इसमें थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन जल्द ही हल निकाल लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले सत्र में सरकार इस पर मजबूत जवाब के साथ आएगी। उन्होंने बताया कि भू माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन के कागजात को इधर से उधर कर दिये जाने की शिकायत आती है, उस पर अंकुश लग सकेगा।       

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लोबिन हेम्ब्रम समेत अन्य के एक ध्यानाकर्षण सूचना पर मुख्यमंत्री ने नये प्रखंडों के सृजन के मांग के संबंध में स्पष्ट किया कि सरकार इसके लिए आवश्यक सर्वे कराएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच-सात पंचायतों को मिलाकर प्रखंड गठन की मांग को लेकर राज्य सरकार सभी घरों का सर्वे कराने की तैयारी कर रही है, सभी हाउस होल्ड के सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि पंचायत और गांवों की दूरी प्रखंड मुख्यालय से कितनी है और जरुरत पड़ी तो नये प्रखंड बनाये जाएंगे।       

झामुमो के लोबिन हेम्ब्रम ने राजबिसा को प्रखंड का दर्जा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि राजबिसा पंचायत के लोगों को प्रखंड मुख्यालय पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसकी वजह राजबिसा से प्रखंड मुख्यालय के बीच की दूरी ज्यादा होना है। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने कहा है कि अगले तीन महीने के अंदर झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन कर लिया जाएगा।उन्होंने विधायक बंधु तिकरी के एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि अभी विभागीय सचिव के माध्यम से बाल हितों से जुड़े मामलों का निष्पादन कराया जा रहा है।

भाजपा के राज सिन्हा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बाल हित से जुड़े मसलों पर आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा सुनवाई की जाती है, लेकिन पद रिक्त होने से बाल हित के विषयों पर कुप्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल महीने से आयोग में नियमित अध्यक्ष और सदस्यों का पद रिक्त है, जबकि नियमानुसार अधिकतम तीन महीने में रिक्त पदों को भर दिया जाना चाहिए था।

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