Edited By Diksha kanojia, Updated: 31 Aug, 2020 03:48 PM
बुराई पर अच्छाई, इंसाफ और हक के लिए कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए इमाम हसन हुसैन और 72 साथियों की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम का जुलूस इस बार राजधानी रांची में नहीं निकला गया।
रांचीः बुराई पर अच्छाई, इंसाफ और हक के लिए कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए इमाम हसन हुसैन और 72 साथियों की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम का जुलूस इस बार राजधानी रांची में नहीं निकला गया।
सरकारी दिशा निर्देश का अनुपालन करते हुए सभी कमेटी के खलीफा ने इस बार मोहर्रम का जुलूस नहीं निकालने का फैसला पहले ही कर लिया था, लेकिन मोहर्रम के दिन लोग अपने अपने घरो में दुआ पढ़ी। इमामबाड़ा पर फातिहा पढ़कर रोशनी की गई, साथ ही लोगों ने अपने अपने तरीके से गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाया।
इस खास दिन पर जुल्म के खिलाफ शहीद हुए हसन हुसैन और उनके साथियों के लिए दुआएं मांगी और आपसी भाईचारे की के लिए कसमें खाई। साथ ही लोगों ने देश में चल रहे महामारी से निजात पाने के लिए भी दुआ की। गौरतलब है कि मोहर्रम के दिन हर साल हज़ारो की संख्या में लोग जुलूस की शक्ल में सड़कों पर निकलते हैं और कर्बला की युद्ध में शहीदों के लिए श्रद्धांजलि देते हैं।