झारखंड सरकार का फैसला- अब गुलाबी से हरी-सफेद की जाएंगी स्कूलों की इमारतें

Edited By Diksha kanojia, Updated: 22 May, 2022 10:49 AM

now the buildings of schools will be changed from pink to green white

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा नीत गठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस आशय का निर्देश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य में सरकारी स्कूलों की इमारतों की पुताई अब हरे और सफेद रंग से करने...

 

रांचीः झारखंड सरकार ने सभी सरकारी विद्यालयों के भवनों को गुलाबी रंग से बदलकर अब हरे और सफेद रंग में रंगने का फैसला किया है जो सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) के झंडे के रंग से मिलता-जुलता है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने खुलकर इसका विरोध किया है।

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा नीत गठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस आशय का निर्देश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य में सरकारी स्कूलों की इमारतों की पुताई अब हरे और सफेद रंग से करने का फैसला किया गया है और यह फैसला विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर तय किया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले के चलते अब झारखंड में पैंतीस हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों का रंग गुलाबी से बदल कर हरा और सफेद हो जायेगा। राज्य में पिछली सरकार के समय सभी विद्यालय भवनों की गुलाबी रंग में पुताई करायी गयी थी। राज्य सरकार के इस नये फैसले से झारखंड में सरकारी स्कूल भवनों के रंग को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप प्रारंभ हो गये हैं।

भाजपा ने आरोप लगाया कि वास्तव में हरा और सफेद रंग सत्तारूढ़ झामुमो पार्टी के झंडे से जुड़े हैं जिसके चलते झामुमो सरकार ने यह कदम उठाया है। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने दावा किया, ‘‘हमने विशेषज्ञों की राय के अनुसार रंग चुने हैं और इसमें कोई राजनीति मंशा नहीं है। हरा रंग चिकित्सकीय दृष्टि से भी आंखों के लिए सुकूनदायक माना गया है तो सफेद रंग स्वच्छता व ताजगी का प्रतीक है।'' झामुमो पार्टी का झंडा हरे रंग की पृष्ठभूमि पर सफेद रंग के धनुष और तीर से बना है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि सरकार का रंगों का चयन एक राजनीतिक संदेश देने के लिए है। उन्होंने कहा कि राज्य में तमाम विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है और अनेक बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं अतः सरकार को पहले शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए न कि इसके राजनीतिकरण में लगना चाहिए।
 

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