दुग्ध क्रांति की दिशा में आत्मनिर्भर होगा पलामू, 25 हजार से अधिक किसानों को होगा फायदा

Edited By Diksha kanojia, Updated: 05 Mar, 2022 05:35 PM

palamu will be self sufficient in the direction of milk revolution

प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के समीप गणके गांव में करीब 28 करोड़ की लागत से मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस प्लांट का वाटर ट्रायल पूर्ण कर लिया गया है। अब दूध का प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग का ट्रायल होगा।

 

रांचीः दुग्ध क्रांति की दिशा में झारखंड सरकार कदम बढ़ा दिया है और सरकार के इस प्रयास का सीधा फायदा किसान व जनसामान्य को मिलनेवाला है। विशेषकर पलामू के पशुपालक किसानों को इसका फायदा होगा। यह फायदा मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की शुरूआत से होगी। पलामू में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित की जा चुकी है।

प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के समीप गणके गांव में करीब 28 करोड़ की लागत से मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस प्लांट का वाटर ट्रायल पूर्ण कर लिया गया है। अब दूध का प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग का ट्रायल होगा। ट्रायल के दौरान प्लांट से बने दूध एवं अन्य उत्पाद की गुणवत्ता जांच एवं अन्य सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण होने के पश्चात विधिवत उद्घाटन की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। इसके बाद मेधा के नाम से उत्पाद को बाजार में उतारा जायेगा। मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट आने वाले समय में युवाओं के साथ-साथ पशुपालक किसान भाईयों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। उन्हें रोजगार से जोड़ेगा। इससे डेयरी विकास और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

जिले के स्थानीय किसान दूध के व्यवसाय से सीधे जुड़कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे। सरकार एवं स्थानीय पलामू जिला प्रशासन दूध कारोबार को बढ़ावा देने एवं किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में निरंतर काम कर रही है। पलामू सहित राज्य में दूध के कारोबार की अच्छी संभावना देखी जा रही है। किसानों द्वारा पशुपालन कर दूध का कारोबार भी किया जाता है, लेकिन उसकी सप्लाई संगठित क्षेत्र में नहीं हो पाने से उन्हें इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। साथ ही नियमित रूप से दूध की सप्लाई भी नहीं हो पाती है।

प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने से किसानों में विश्वास जागृत होगा कि उनके पशु का दूध उचित दाम पर सालोंभर बिक्री हो सकेगी। ऐसे में किसान पशुपालन की दिशा में बेहतर कार्य करेंगे। इससे पलामू की अथर्व्यवस्था मजबूत होगी और किसान भी आत्मनिर्भर हो सकेंगे। रोजगार की तलाश में उन्हें दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। प्लांट से लेकर पशुपालन में युवाओं एवं किसान भाईयों को अपने ही गांव-शहर में ही रोजगार मिल पायेगा।

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