झारखंड में नदी, तालाबों के किनारे छठ पूजा करने की मिली अनुमति, संशोधित दिशा-निर्देश जारी

Edited By Diksha kanojia, Updated: 18 Nov, 2020 11:29 AM

permission granted to perform chhath puja on the banks of river ponds

झारखंड सरकार ने जल स्रोतों के किनारे छठ पूजा पर रोक लगाने का अपना पुराना फैसला मंगलवार को जन दबाव और विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद वापस ले लिया। इस संबंध में रात को संशोधित दिशानिर्देश भी जारी कर दिए गए है।

 

रांचीः झारखंड सरकार ने जल स्रोतों के किनारे छठ पूजा पर रोक लगाने का अपना पुराना फैसला मंगलवार को जन दबाव और विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद वापस ले लिया। इस संबंध में रात को संशोधित दिशानिर्देश भी जारी कर दिए गए है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में इस बात की जानकारी देते हुए कहा गया है कि इस सिलसिले में 15 नवंबर की रात्रि जारी दिशा निर्देशों में बदलाव कर दिया गया है। राज्य सरकार के मंगलवार को लिए गए निर्णय के बाद अब राज्य में नदियों तालाबों, बांध और झील आदि का इस्तेमाल छठ महापर्व के लिए किया जा सकेगा। विज्ञप्ति में बताया गया है कि आज शाम मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता की उपस्थिति में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सदस्यों की बैठक हुई। विज्ञप्ति के मुताबिक इस बैठक में कोविड-19 को देखते हुए छठ महापर्व के सुरक्षित आयोजन को लेकर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि छठ महापर्व लोक आस्था से जुड़ा हुआ है और चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि संध्याकालीन अर्घ्य और प्रातः कालीन अर्घ्य के लिए के लिए नदियों, तालाबों आदि जल स्रोतों के किनारे जुटते हैं, ऐसे में कोविड-19 के मद्देनजर सतर्कता और सुरक्षित तरीके से छठ महापर्व के आयोजन को लेकर पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक आस्था के महापर्व को देखते हुए सरकार द्वारा पहले जारी किए गए दिशानिर्देशों में आंशिक संशोधन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि छठ पूजा के दौरान वे सामाजिक दूरी समेत अन्य दिशा निर्देशों का पालन करें। उन्होंने लोगों से यह भी आग्रह किया कि वे यथासंभव अपने घरों पर छठ महापर्व मनाएं ताकि इस महामारी के फैलने का खतरा नहीं हो।

प्राधिकार की बैठक में बिहार समेत अन्य राज्यों द्वारा छठ महापर्व को लेकर जारी किए गए परामर्श पर भी विचार विमर्श किया गया। बैठक में राज्य के आपदा प्रबंधन एवं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि लोक आस्था के इस पर्व का झारखंड और बिहार में विशेष महत्ता है, ऐसे में जन भावनाओं का ख्याल रखते हुए पूर्व के दिशानिर्देशों में आंशिक संशोधन किया गया है। बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बाद में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य आपदा प्रबंधन समिति ने रात में संशोधित दिशा निर्देश जारी किये। इसके मुताबिक जल स्रोतों के किनारे छठ पूजा की अनुमति दी गई लेकिन घाटों के आसपास दूकानें आदि लगाने तथा संगीत कार्यक्रम आदि पर पहले की तरह रोक जारी रहेगी।

इन दिशानिर्देशों के तहत छठ व्रतियों को आपस में छठ फीट की दूरी रखनी होगी, मास्क लगाना अनिवार्य होगा तथा कहीं भी किसी को थूकने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा घाटों और बैठने के स्थानों और पूजा से जुड़ी वस्तुओं का बार-बार सेनिटाइज करना होगा। इस वर्ष 18 नवंबर से 21 नवंबर तक छठ पूजा निश्चित है। वहीं, मुख्य विपक्षी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘आखिर राज्य सरकार को समय रहते सदबुद्धि आई और उसने जनभावनाओं को समझा।''

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