Edited By Diksha kanojia, Updated: 28 Apr, 2022 11:55 AM
दास ने बुधवार को कहा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बुजुर्गों और मरीजों का हाल बुरा हो गया है। हमारे समय में भी बिजली का संकट पैदा होता था, लेकिन पहले से की गयी तैयारी और योजना के कारण इनती अधिक लोड शेडिंग की अवश्यकता नहीं होती थी।
रांचीः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में प्रचंड गर्मी के बीच बिजली संकट गहराता चला जा रहा है और गांव और शहर में लगातार पावर कट से जनता परेशान है।
दास ने बुधवार को कहा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बुजुर्गों और मरीजों का हाल बुरा हो गया है। हमारे समय में भी बिजली का संकट पैदा होता था, लेकिन पहले से की गयी तैयारी और योजना के कारण इनती अधिक लोड शेडिंग की अवश्यकता नहीं होती थी। वर्तमान में झारखंड में 2300 से 2600 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। इसमें डीवीसी के अंतर्गत छह जिलों में 600 मेगावाट बिजली की जरूरत शामिल है। इसकी तुलना में झारखंड को लगभग 1200 मेगावाट बिजली मिल रही है। इसमें टीवीएनएल से 320 मेगावाट, आधुनिक से 180 मेगावाट, इंलैंड पावर से 60 मेगावाट तथा सेंट्रल पूल से 650 मेगा वाट बिजली मिल रही है, जो आवश्यकता से 600-700 मेगावाट कम है।
उन्होंने कहा कि इस बिजली संकट के लिए हेमंत सरकार की निष्क्रियता जिम्मेवार है। वर्ष 2020 में इसी प्रकार का बिजली संकट उत्पन्न हुआ था, उस समय की घटना से हेमंत सरकार ने कोई सीख नहीं ली। पहले से ही योजना बनायी जाती और टाटा पावर, डीवीसी या अन्य कंपनियों के साथ पीपीए कर लेना चाहिए था। झारखंड देश में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां से कोयला दूसरे राज्यों में जाता था और हम बिजली खरीदते थे। झारखंड से कोयले का नहीं बिजली दूसरे राज्यों में जाये, इसे ध्यान में रख कर भाजपा की डबल इंजन सरकार के समय पीटीपीएस, पतरातू और एनटीपीसी के बीच साझा समझौता हुआ।
इसके तहत 2024 तक 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। पहले चरण में 800 मेगा वाट बिजली का उत्पादन शुरू होना था, जो सरकार की निष्क्रियता और उदासीनता के कारण शुरू नहीं हो पाया है। इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने एनटीपीसी के नार्थ कर्णपूरा का शिलान्यास किया था। लेकिन 10 साल तक केंद्र की यूपीए सरकार ने इस पर काम रोक दिया। 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे फिर से शुरू कराया। अब यह पावर प्लांट बनकर तैयार है, लेकिन राज्य सरकार के फोरेक्ट क्लियरेंस में यह मामला दो साल से लंबित है। इससे भी 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता।
इसी तरह गोड्डा में निजी कंपनी अडानी के साथ 400 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराने का करार किया गया था। लेकिन पिछले दो साल से कंपनी के अधिकारी पीपीए करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहें हैं, लेकिन सरकार को इसके लिए फुर्सत नहीं है। दास ने कहा कि राज्य के 24 जिलों में शहरों में औसतन 6-8 घंटे और गांवों में 4-5 घंटे बिजली मिल रही है। हेमंत सरकार की निष्क्रियता और निकम्मेपन के कारण आज झारखंड की जनता बिजली और पानी के लिए त्राहिमाम कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि अभी भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की रणनीति बनायें और जनता को इस बिजली संकट से निजात दिलायें।