Edited By Khushi, Updated: 05 Oct, 2022 03:57 PM
देवघर: आज 5 अक्टूबर को विजयदशमी के त्यौहार की हर तरफ धूम है। आज श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर से अच्छाई की जीत हासिल की थी। हर जगह रावण का पुतला दहन किया जा रहा
देवघर: आज 5 अक्टूबर को विजयदशमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। आज श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर से अच्छाई की जीत हासिल की थी। हर जगह रावण का पुतला दहन किया जा रहा, लेकिन झारखंड के देवघर जिले के बैद्यनाथ धाम में रावण का पुतला दहन नहीं होता। सभी जगह रावण का पुतला दहन होता होगा, लेकिन यहां रावण के पुतले का दहन नहीं होता है।
रावण कैलाश से ज्योतिर्लिंग लेकर आए थे
दरअसल, रावण एक महान पंडित और ब्राह्मण थे। वह शिव के सबसे बड़े भक्त थे। रावण के 10 सिर थे, जिसमें 5 सात्विक और शेष 5 तमशिक। जब कैलाश से रावण बाबा बैद्यनाथ के ज्योतिर्लिंग को लेकर आ रहे थे तो वो सात्विक कर्म था। रावण की वजह से ही यहां देवघर में कामना लिंग बाबा बैद्यनाथ लाया गया, हालांकि ज्योतिर्लिंग स्थापित विष्णु के द्वारा किया गया था, लेकिन इसे लाने वाले रावण ही थे। बताया जा रहा है कि यही वजह है कि देवघर में रावण का पुतला दहन नहीं होता है।
देवघर में गिरा था माता का हृदय
देवघर विश्व का एकलौता शिव मंदिर है जहां शिव और शक्ति विराजमान हैं। माना जाता है कि सती वियोग में माता सती के 51 टुकड़े किये गए थे। वह अलग-अलग जगहों के मंदिर में गिरे थे। वहीं, देवघर में माता का हृदय गिरा था, इसी वजह से ये शक्ति पीठ कहलाया और माता यहां पहले से विराजमान थीं। इसलिए जब रावण कैलाश से ज्योतिर्लिंग को लंका ले जा रहे थे तो देवताओं ने यहा बाबा बैद्यनाथ की स्थापना की थी।