बांकुरा और झारग्राम की 8 सीटों पर BJP-TMC में कांटे की टक्कर, इस कड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं ममता बनर्जी

Edited By Ramanjot, Updated: 27 Mar, 2021 10:29 AM

bjp tmc contest in 8 seats in bankura and jhargram

पहले चरण में बांकुरा की 4 सीट और झारग्राम की सभी 4 सीटों पर भी वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं इसके अलावा पश्चिम मेदिनीपुर की 6 सीटों और पूर्वी मेदिनीपुर की 7 सीटों पर भी मतदान जारी है। बांकुरा की 4 विधानसभा सीट और झारग्राम की सभी 4...

पश्चिम बंगालः 27 मार्च को पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान जारी है। पहले चरण के कुल 30 विधानसभा सीट पर टीएमसी और बीजेपी में सीधा मुकाबला चल रहा है। पहले चरण में बांकुरा की 4 सीट और झारग्राम की सभी 4 सीटों पर भी वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं इसके अलावा पश्चिम मेदिनीपुर की 6 सीटों और पूर्वी मेदिनीपुर की 7 सीटों पर भी मतदान जारी है। बांकुरा की 4 विधानसभा सीट और झारग्राम की सभी 4 विधानसभा सीटों पर भी वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इसके अलावा पश्चिम मेदिनीपुर की 6 सीटों और पूर्वी मेदिनीपुर की 7 सीटों पर भी मतदान जारी है।
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वहीं 27 मार्च को झारग्राम जिले की सभी चार सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। झारग्राम की चार में से दो विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। बांकुरा और झारग्राम जिले में अल्पसंख्यक वोटरों की आबादी 8 से 10 फीसदी के आसपास है। बांकुरा जिले की विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटर ही चुनावी नजीते तय करते हैं। बांकुरा में अनुसूचित जाति के वोटरों की आबादी लगभग 32.2 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 10.3 फीसदी है। वहीं झारग्राम में अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटरों की भूमिका निर्णायक होती है। झारग्राम में अनुसूचित जाति के वोटरों की आबादी लगभग 19.1 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति के वोटरों की आबादी 14.9 फीसदी के करीब है। इस लिहाज से झारग्राम जिले की चार सीटों पर अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी तकरीबन 34 फीसदी है।
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देखा जाए तो अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटरों का झुकाव 2019 में बीजेपी की तरफ हो गया था। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन इलाकों में अपने खोए आधार को 2021 में फिर से हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। 2019 में बीजेपी ने इन इलाकों में बढ़त बना ली थी। अब 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता दीदी के सामने बीजेपी के इस किले में सेंध लगाने की कठिन चुनौती है। वहीं बांकुरा और झारग्राम में राजनीतिक हिंसा भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है क्योंकि 2018 के पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक हिंसा की सारी सीमाएं पार कर दी थी। सीपीएम के सीनियर लीडर और नौ बार सांसद रहे बासुदेव अचारिया पर हमला करने का आरोप कथित तौर से टीएमसी पर लगा था। 2018 के पंचायत चुनाव में हुई हिंसा के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में आम जनता ने तृणमूल के खिलाफ गुस्से का इजहार किया था लेकिन ये देखना अहम होगा कि क्या 2021 के विधानसभा चुनाव में भी यही ट्रेंड जारी रह पाएगा।
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झारग्राम की चार सीटों पर एससी–एसटी वोटरों के अलावा महतो कुर्मी समाज की अच्छी खासी आबादी है। बीजेपी ने महतो कुर्मी वोटरों का भरोसा जीतने के लिए झारखंड के कुर्मी नेता सुदेश महतो के साथ गठबंधन भी किया है। सुदेश महतो की ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के उम्मीदवार को भी बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। साफ है कि बांकुरा और झारग्राम में ममता बनर्जी को बेहद कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है।

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