JDU में विलय के बाद कुशवाहा को मिली बड़ी जिम्मेदारी, बनाए गए संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष

Edited By Nitika, Updated: 14 Mar, 2021 04:44 PM

kushwaha becomes president of jdu parliamentary board

रालोसपा के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी के जदयू में विलय होने की घोषणा कर दी है। साथ ही पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए हैं।

 

पटनाः रालोसपा के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी के जदयू में विलय होने की घोषणा कर दी है। साथ ही पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए हैं।

उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले रालोसपा के जदयू में विलय के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से जेडी (यू) के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी में आने से खुशी है। नीतीश कुमार ने कहा कि पहले भी एक साथ थे और आज फिर एक साथ है। उपेंद्र कुशवाहा के साथ मिलकर हम लोग काम करेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब सिर्फ चुनाव नहीं होता।
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वहीं इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कुशवाहा को गुलदस्ता भेंट करके उनका जदयू में स्वागत किया। ऐसी चर्चाएं रही हैं कि पूर्व में नीतीश कुमार के दल समता पार्टी और बाद में जदयू में रहे उपेंद्र कुशवाहा को 2004 में पहली बार विधायक बनकर आने के बावजूद कुमार ने कई वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी करके कुर्मी और कुशवाहा जातियों के साथ एक शक्तिशाली राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था। 2013 में जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़कर रालोसपा नामक नई पार्टी का गठन कर लिया था। वह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गये थे और उस चुनाव के बाद कुशवाहा को नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया था। जुलाई 2017 में जदयू की राजग में वापसी ने समीकरणों को एक बार फिर बदल दिया और रालोसपा इस गठबंधन ने नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़स था लेकिन वह हार गए थे।
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2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा था। बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था लेकिन इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां 5 सीट जीती थी, वहीं रालोसपा एक भी सीट नहीं जीत पायी थी।

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