3 days ago
4 days ago
7 days ago
10 days ago
13 days ago
2 weeks ago
3 weeks ago
4 weeks ago
1 month ago
Tuesday
Main Menu
धर्म/कुंडली टीवी
नारी
Photos
Videos
हिमाचल प्रदेश
पंजाब
हरियाणा
उत्तर प्रदेश
Breaking
प्रणब मुखर्जी- मिराती गांव से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने की जीवन यात्रा
Edited By Nitika, Updated: 31 Aug, 2020 06:48 PM
प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति में एक ध्रुव तारे के जैसे रहे। पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती नाम के छोटे से गांव से दिल्ली दरबार पर अपनी अमिट छाप छोड़ने की उनकी यात्रा हर किसी को लुभाती है।
जालंधर(विकास कुमार): प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति में एक ध्रुव तारे के जैसे रहे। पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती नाम के छोटे से गांव से दिल्ली दरबार पर अपनी अमिट छाप छोड़ने की उनकी यात्रा हर किसी को लुभाती है। हर संघर्ष करने वाले युवा को प्रेरणा देती है। प्रणब मुखर्जी अपनी आत्मकथा के प्रस्तावना में अपनी इस यात्रा के बारे में बेहद रोमांचक तरीके से वर्णन करते हैं। ‘यह उस युवक की कथा है जो पश्चिम बंगाल के एक सुदूर गांव के टिमटिमाते दीपक से भारत की राष्ट्रीय राजधानी के चमचमाते फानूसों तक आ पहुंचा-एक ऐसी लंबी यात्रा, जो कुछ सफलताओं कुछ निराशाओं और आकर्षक मुठभेड़ों के मेल से बनी है। प्रणब दा का अपने बारे में ये कथन ही साबित करने के लिए काफी है कि दिल्ली की सत्ता के शिखर तक वे गांव के बेहद ऊबड़ खाबड़ मैदानों से होकर पहुंचे थे। कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर हर जगह उनका सम्मान किया जाता था। वर्तमान दौर में उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह कहा जाता था। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक उन्हें सम्मान से प्रणव दा कहकर ही संबोधित किया जाता था। उनकी स्वीकार्यता का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके राजनीतिक विरोधी रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रणब दा को पिता समान बताया था। प्रणब दा अपने गांव मिराती को लेकर बेहद संजीदा थे। वे अपने ऑटोबायोग्राफी में मिराती गांव के बारे में बेहद भावुक होकर लिखते हैंं। खासकर 11 दिसंबर को जब उनका जन्म दिन होता तो उन्हें अपने गांव और मां की बहुत याद आती थी। वे खुद ही बताते हैं कि ’11 दिसंबर को मेरे विचार मुझे कहीं दूर ले जाते हैं। मेरे आसपास का तत्कालीन परिवेश–राजधानी की व्यस्त कार्यप्रणाली, साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक और इनसे भी परे सुदूर-सब मेरे मस्तिष्क में अस्पष्ट हो जाते हैं। इनकी बजाए मैं पेड़ों के झुरमुट, कच्ची पगडंडियां और कच्चे घर देखने लगता हूं। मुझे मां के हाथों की बनी खीर की महक की याद आती है। मेरा मन मिराती गांव की ओर उड़ चलता है, जहां मैं पला बढ़ा’ प्रणब दा पढ़ाई में विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा पाई थी। ये कॉलेज कलकत्ता यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। प्रणब दा ने इतिहास और राजनीति विज्ञान से एमए किया था। उन्होंने कानून की डिग्री भी हासिल की थी। वे एक वकील और कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं। पहले तो उन्होंने कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर अपने कैरियर की शुरूआत की थी। बाद में वे पत्रकारिता में ज्यादा रूचि लेने लगे। प्रणब दा ने देशेर डाक यानी मातृभूमि की पुकार नाम के प्रकाशन से जुड़े थे। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मदद से प्रणब दा ने साल 1969 में राजनीति में प्रवेश किया था। प्रणब दा को कांग्रेस की टिकट पर राज्यसभा के लिए चुना गया। अपनी प्रतिभा से धीरे धीरे कर प्रणब दा, इंदिरा गांधी के चहेते बन गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के हाथों में देश की बागडोर सौंप दी गई। इस घटना ने ना केवल कांग्रेस को लंबे समय तक प्रभावित किया बल्कि खुद प्रणब दा की राजनीति भी एक अलग मोड़ पर पहुंच गई। राजीव गांधी और उनके इर्द गिर्द रहने वाले कुछ नेताओं से कई मुद्दों पर प्रणब दा सहमत नहीं थे। यही वजह थी कि कांग्रेस पार्टी से प्रणब मुखर्जी को बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया। प्रणब मुखर्जी ने उस दौरान राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नाम से पार्टी भी बना ली लेकिन 1989 में राजीव गांधी से समझौता होने के बाद प्रणब दा एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। पी वी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने से प्रणब दा को एक बार फिर तवज्जो मिलना शुरू हो गया। 1991 में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद नरसिम्हा राव ने 1995 में उन्हें कैबिनेट मन्त्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला लिया गया। ये प्रणब दा की क्षमता ही थी कि उन्हें विदेश मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो सौंपा गया। आगे चलकर सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही थी। प्रणब दा सोनिया गांधी के प्रमुख परामर्शदाताओं में से रहे थे। जब सोनिया गांधी किसी कठिन परिस्थिति में फंस जाती थीं तो प्रणब मुखर्जी उन्हें उनकी सास इंदिरा गांधी के उदाहरणों के जरिए बताते थे कि आखिर कैसे इंदिरा गांधी इस तरह के हालात से निपटती थीं। 2004 में सत्ता में वापस आने के बाद यूपीए में प्रणब दा को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। 2004 से 2006 तक प्रणब मुखर्जी को रक्षा मंत्री बनाया गया तो 2006 से 2009 तक प्रणब दा के जिम्मे विदेश मंत्रालय सौंप दिया गया। विदेश मंत्री के तौर पर उन्होंने भारत का अमेरिकी सरकार के साथ असैनिक परमाणु समझौते करवाया। ये उनकी सबसे बड़ी विरासत कही जा सकती है। इस एक दो तीन समझौते से परमाणु अप्रसार सन्धि पर दस्तखत नहीं करने के बावजूद। भारत न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के साथ समझौता करने में सफल रहा यानी प्रणब दा ने भारत को न्यूक्लियर अपार्थिड से मुक्ति दिलवा दी। 2012 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति कैंडिडेट घोषित किया। उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की और 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। 2012 से 2017 के कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में अपनी अमिट छाप छोड़ी। पचास साल से लंबे कार्यकाल में उन्होंने भारत की तन और मन से सेवा की। उनकी इसी सेवा को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया। भारत की आने वाली पीढ़ीयां प्रणब मुखर्जी से प्रेरणा लेती रहेंगी।
5785 करोड़ रु की संपत्ति, जानें कौन हैं लोकसभा के सबसे अमीर उम्मीदवार
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस ने पटना साहिब से अंशुल अभिजीत को दिया टिकट, रविशंकर प्रसाद को...
तेलंगाना में टला बड़ा हादसा, तेज हवा के झोके से ढह गया निर्माणाधीन पुल
Lok Sabha Election 2024: जामयांग सेरिंग नामग्याल का लद्दाख से कटा टिकट, ताशी ग्यालसन को बनाया...
529 करोड़ के लग्ज़री होटल में शादी के बंधन में बंधेंगे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट, देखिए तस्वीरें
राजौरी में मोहम्मद रजाक के जनाजे में शामिल हुए हजारों लोग, हर आंख हुई नम
Jio Recharge: Jio ने लाॅन्च किया सबसे सस्ता रिचार्ज, मिलेगा अनलिमिटेड कॉलिंग और डेटा, सिर्फ इतनी है...
भारत में जल्द लॉन्च होगा Xiaomi का अपकमिंग फोन, मिल सकती हैं ये खूबियां
जहां रामनवमी के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, उन सीटों पर चुनाव की अनुमति नहीं देंगे: कलकत्ता HC
'कांग्रेस' उम्मीदवार के खिलाफ आपत्तिजनक अभियान चलाना 'माकपा' नेता को पड़ा भारी, FIR हुई दर्ज
Lok Sabha Elections 2024... केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने खूंटी लोकसभा सीट से दाखिल किया नामांकन
आम आदमी पार्टी को पहली बार वोट देंगे सोनिया और राहुल, जानिए इस फैसले के पीछे का क्या है राज
मेडिकल छात्र की जमे हुए झरने में फंसने से मौत, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
CAD $
23/04/2024 15:30 IST
USD $
AUD $
EUR €
NZD $
AED د.إ
GBP £
Bitcoin
Ethereum
Tether
BNB
USD Coin
XRP
Terra
Solana
18.4
20.0
Chennai Super Kings win by 6 wickets
मेष राशि वालों आज का दिन आपके लिए बेहद ही खास रहेगा। घर में कोई शुभ कार्य करवाने का प्लान
वृष राशि के जातक आज कार्यक्षेत्र में प्रमोशन होने की सम्भावना है। किसी फंक्शन में जाने का मौका मिलेगा। क़ानूनी
मिथुन राशि के जातक आज घूमने-फिरने का प्लान बना सकते हैं। व्यापार का माहौल भी ठीक रहेगा। इस राशि के
कर्क राशि वालों आज कायक्षेत्र में किसी सहकर्मी के साथ बहस होने की सम्भावना है। कोई प्रॉपर्टी या वाहन खरीदने
सिंह राशि के जातकों का सामाजिक दायरा बढ़ता हुआ नजर आएगा। आय तो बढ़ेगी लेकिन साथ में खर्चे होने की भी
कन्या राशि वालों आज आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। माता-पिता के साथ समय बिताने का
तुला राशि के जातक लेन-देन करते समय बहुत ही सावधानी बरतें। कोई भी काम करने से पहले दस्तावेजों को बेहद ही
वृश्चिक राशि के जातक अपनी सेहत का खास ध्यान रखें। युवा वर्ग जॉब करने के लिए शहर से बाहर
धनु राशि के जातक बेवजह की परेशानियों से दूरी बनाए रखें। किसी कार्य को पूरा करने के लिए जूनियर
मकर राशि वालों साझेदारी संबंधी व्यवसाय में छोटी सी गलतफहमी के कारण संबंध बिगड़ सकते हैं। दूसरों
कुंभ राशि वालों जो काम अधूरा छोड़ा है, उसे पूरा करने में ध्यान दें। पुरानी नकारात्मक बातों को वर्तमान पर हावी न
मीन राशि वालों दिन की शुरुआत सुकून भरी रहेगी। व्यापार को लेकर कोई शुभ समाचार मिल सकता है। आर्थिक
Be on the top of everything happening around the world.
Try Punjab Kesari E-Paper Premium Service.
फीडबैक दें
Thoughts
Jokes