Edited By Nitika, Updated: 14 Mar, 2021 02:51 PM
8 साल बाद नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा फिर साथ आ गए हैं। रालोसपा का जदयू में विलय हो गया है। इसके लिए जदयू कार्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया। सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में कुशवाहा का पार्टी में जोरदार स्वागत किया गया।
पटनाः 8 साल बाद नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा फिर साथ आ गए हैं। रालोसपा का जदयू में विलय हो गया है। इसके लिए जदयू कार्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया। सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में कुशवाहा का पार्टी में जोरदार स्वागत किया गया। वहीं इससे पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हम लोगों ने फैसला लिया है कि रालोसपा का काफिला अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेगा। देश और राज्य की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। हम लोग जदयू के साथ मिलकर काम करेंगे।
रालोसपा के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी के जदयू में विलय को लेकर चली आ रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि यह काफिला अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए काम करेगा। कुशवाहा ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में रालोसपा का जदयू में विलय करने की घोषणा कर दी है।
कुशवाहा ने किया ऐलान, अब नीतीश के नेतृत्व में करेंगे काम
कुशवाहा ने पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य परिषद की कल हुई बैठक में प्रस्ताव पारित कर सर्वसम्मति से निर्णय के लिए उन्हें अधिकृत कर दिया गया था। आज राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इसी एजेंडे पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि समान विचारधारा के लोग जिनको बिहार ने स्वीकार किया उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
रालोसपा अध्यक्ष ने कहा, 'पार्टी ने निर्णय लिया है कि अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो मेरे बड़े भाई के समान है उनके साथ चलेंगे। यह काफिला कुमार के नेतृत्व में काम करेगा।' उन्होंने कहा कि पार्टी का फैसला है कि जदयू के साथ मिलकर काम करेंगे। रालोसपा की पूरी जमात का जदयू में मिलन होगा। आगे की भूमिका क्या होगी इस पर मिल बैठकर बात होगी।
कुशावाहा को नीतीश दे सकते हैं बड़ी जिम्मेदारी
वहीं माना जा रहा है कि जदयू में विलय के बाद कुशवाहा को नीतीश कुमार कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं। संगठन में महत्वपूर्ण पद के साथ-साथ राज्यपाल कोटे से मनोनयन वाले विधान परिषद में भी उन्हें या उनके किसी करीबी को भेजा जा सकता है।