विधानसभा चुनाव से पहले युवा वोटरों की नाराजगी से क्यों घबराए हुए हैं नीतीश कुमार?

Edited By Nitika, Updated: 09 Sep, 2020 03:07 PM

why nitish worried about the displeasure of young voters

विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एंटी इन्कंबैसी वोटों की आहट महसूस कर रहे हैं। अपने चुनावी मिशन की शुरूआत में नीतीश कुमार ने कई ऐसी बातें की जिससे ये अंदाजा मिलता है कि पिछले 15 साल के शासन में जो अलोकप्रियता बढ़ी है उसका एहसास...

 

पटनाः विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एंटी इन्कंबैसी वोटों की आहट महसूस कर रहे हैं। अपने चुनावी मिशन की शुरूआत में नीतीश कुमार ने कई ऐसी बातें की जिससे ये अंदाजा मिलता है कि पिछले 15 साल के शासन में जो अलोकप्रियता बढ़ी है उसका एहसास नीतीश कुमार को हो गया है।

नीतीश कुमार ने सबसे पहले तो आरजेडी के 15 साल की खामियों की याद दिलाते हुए मतदाताओं से खुद के 15 साल के राज काज की तुलना की। इसके जरिए वे बिहार के मतदाताओं को ये बताना चाहते हैं कि उनका राज लालू-राबड़ी के राज से बेहतर रहा है, यानी नीतीश कुमार घुम फिर कर लालू राज से ही अपनी तुलना होते देखना चाहते हैं, ताकि वे लोगों को ये दिखा सकें कि उनका शासन का मॉडल कम से कम लालू से तो बेहतर है।

पिछले कई सालों से बिहार के युवाओं में नीतीश कुमार के रवैये को लेकर आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। बिहार के छात्र सरकार पर कंपटीशन इक्जाम के क्वेश्चन पेपर लीक होने का आरोप लगाते रहे हैं। एसएससी का पेपर हो या फिर दारोगा का सभी में पेपर लीक होने का आरोप छात्रों ने लगाया है। छात्रों का आरोप है कि सरकार पेपर लीक की गड़बड़ी को ठीक नहीं कर पाई और परीक्षा माफिया पर सख्त एक्शन नहीं लिया जा सका। वहीं बीपीएससी भी इस आरोप से नहीं बच पाया। बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य रामाकिशोर सिंह के रिश्वत वाले ऑडियो के वायरल होने के बावजूद सख्त कार्रवाई ना होने से नीतीश कुमार की छवि पर से छात्रों का भरोसा कमजोर हुआ है। साथ ही बिहार में होने वाले परीक्षाओं में बाहरी उम्मीदवारों के चयन का भी लोकल स्टूडेंट्स ने लगातार विरोध किया है। युवाओं के इस गुस्से को तेजस्वी यादव ने समझ लिया है। यही वजह है कि तेजस्वी बार बार बिहार के युवाओं की बेरोजगारी की समस्या को आवाज दे रहे हैं।

युवाओं के विरोध को नीतीश कुमार ने भी भांप लिया है। इसिलए नीतीश कुमार ये कहते नजर आ रहे हैं कि नई पीढ़ी के लोगों को पुरानी बात बतानी चाहिए। अगर वे नहीं जानेंगे और गड़बड़ लोगों के चक्कर मे पड़ जाएंगे, तो सब ध्वस्त हो जाएगा। नीतीश के इस बयान से साफ है कि वे युवाओं को ये बताना चाहते हैं कि अगर वे तेजस्वी पर भरोसा करेंगे तो इससे उनका ही नुकसान होगा। नीतीश कुमार ने अपने भाषण में 18 से 25 साल के युवा के बारे में बयान दिया। उनके मुताबिक 18 से 25 साल के युवा लालू-राबड़ी राज के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए वे कार्यकर्ताओं को ये संदेश देते नजर आते हैं कि 18 से 25 साल के युवाओं को लालू राबड़ी के 15 साल के राज के बारे में बताया जाए।

साफ है कि नीतीश कुमार युवाओं के बीच बढ़ती नाराजगी से घबड़ाए हुए हैं। उन्हें लगता है कि लालू राबड़ी राज के जाने के बाद एक ऐसा युवा वर्ग अस्तित्व में आ गया है, जिन्होंने उस दौर को देखा ही नहीं है। इसलिए वे नीतीश कुमार से उनके कामकाज का हिसाब मांग रहे हैं और शायद नीतीश कुमार के पास युवाओं के सवालों का कोई जवाब ही नहीं है। आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा कि नीतीश कुमार की बातों पर खासकर युवा भरोसा जताते हैं कि नहीं। वैसे भी बिहार के युवा अगर खुलकर सामने आ गए तो चुनावी नतीजों को प्रभावित करने का माद्दा तो रखते ही हैं।

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