Edited By Ramanjot, Updated: 08 Nov, 2020 04:32 PM
बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि 1100 से अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। यह जानकारी चुनाव आयोग ने दी है। आयोग की तरफ से शनिवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371...
नई दिल्ली/पटनाः बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि 1100 से अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। यह जानकारी चुनाव आयोग ने दी है। आयोग की तरफ से शनिवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371 महिलाएं थीं।
आयोग के मुताबिक कुल 1157 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे। इस वर्ष फरवरी में उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों से कहा था कि वे बताएं कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में क्यों उतारा। बिहार में विधानसभा चुनाव पहला पूर्ण चुनाव है, जिसमें दलों ने अपने उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया है। चुनाव आयोग ने सितंबर ने नियम बनाया था कि उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान जानकारी देना अनिवार्य है। आयोग ने अक्टूबर 2018 में निर्देश जारी कर अनिवार्य किया था कि उम्मीदवार और दल चुनाव प्रचार के दौरान टीवी और अखबारों में कम से कम तीन बार प्रचार कर आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी दें।
अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पहले चार दिनों के अंदर आपराधिक रिकॉर्ड का पहली बार ‘‘प्रचार'' किया जाना चाहिए। इसने कहा कि दूसरी बार प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए। तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच होना चाहिए। आयोग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘इससे मतदाताओं के पास सही जानकारी रहेगी और वे वोट डालने में अपने विकल्प का चुनाव सही तरीके से कर सकेंगे।''