जल-जीवन-हरियाली योजना की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है पौधशालाएं

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Feb, 2021 05:12 PM

nurseries are playing an important role in water life greenery scheme

मुंगेर जिले में कुल नौ पौधशालाएं काम कर रही हैं जहां सत्तर प्रकार की प्रजातियों के पौधे तैयार किए जाते हैं। इन पौधशालाओं से जिले की 101 पंचायतों में चल रही जल-जीवन-हरियाली योजना के कार्यान्वयन, वन विभाग, मनरेगा और जीविका दीदियों की ओर से पंचायत स्तर...

मुंगेरः वातावरण में सुधार और किसानों के लिए वर्षा के पानी के संरक्षण के लिए बिहार सरकार की ओर से चलाई जा रही जल-जीवन-हरियाली योजना की सफलता में मुंगेर सदर प्रखंड की पौधशालाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

मुंगेर जिले में वन विभाग की नौ पौधशालाएं कार्यरत है। यह पौधशाला लगभग पांच एकड़ में फैली है और पर्यावरन, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अधीन संचालित है। पौधशाला की खूबियां यह है कि यहां लगभग सत्तर प्रकार की प्रजातियों के फलदार, इमारती और औषधीय पौधे तैयार किए जाते हैं। यहां तैयार होने वाले पौधों मे कुछ पौधों की प्रजातियों में शामिल हैं, अर्जुन, आंवला, बहेरा, अमलतास, इमली, खैर, जामुन, महोगनी, कटहल, शीशम, काला शीशम, आम, कदम, गंभार, अनार, बांस, अमरूद आदि।

वन प्रमंडल पदाधिकारी गौरव ओझा ने बताया कि मुंगेर जिले में कुल नौ पौधशालाएं काम कर रही हैं जहां सत्तर प्रकार की प्रजातियों के पौधे तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इन पौधशालाओं से जिले की 101 पंचायतों में चल रही जल-जीवन-हरियाली योजना के कार्यान्वयन, वन विभाग, मनरेगा और जीविका दीदियों की ओर से पंचायत स्तर के सभी प्रकार के वृक्षारोपण कार्यक्रमों के लिए पौधों की आपूर्ति की जाती है। पौधशालाओं में पौधों की गुणवत्ता और प्रजातियों पर ही वृक्षारोपण की सफलताएं निर्भर करती हैं। बहुत से ऐसे पौधे भी उगाए जाते हैं कि जिससे मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों जैसे गिलहरी, कबूतर, कौआ, चिड़ियों को भी भोजन मिलते हैं।

गौरव ओझा ने बताया कि बहुत सी पौधशालाएं शहर से दूर हैं और बिजली की लाइन वहां तक नहीं पहुंची है, इसलिए पौधशालाओं को आत्म-निर्भर बिजली आपूति के मामले में बना दिया गया है और पौधशालाएं सौर प्रणाली से अर्जित बिजली पर काम कर रही हैं। सौर-प्रणाली से प्राप्त बिजली से पौधशालाओं की क्यारियों के पौधों को नियमित पटवन किया जा रहा है। इस पौधशाला की एक खूबी यह भी है कि पौधशाला की क्यारियों में पौधों के नियमित पटवन के लिए पानी टंकी में पानी भरने और पौधशाला में रात्रिकाल में रोशनी की पूरी व्यवस्था सौर उर्जा स्रोत से की जा रही है। सौर-उर्जा पैदा करने के लिए सौर प्लेट और बैटरी स्थापना की गई है।

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