RGCON 2024: सिर और गर्दन कैंसर के 80% मामले हो सकते हैं ठीक, AI बदल सकता है परिदृश्य, एक्सपर्ट्स की राय

Edited By Ramanjot, Updated: 18 Mar, 2024 05:39 PM

experts opinion on rgcon 2024

आरजीसीआईआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा ने कहा- "भारत में सभी तरह के कैंसर में से सिर और गर्दन के कैंसर के मामले 30% हैं, और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2040 तक इनमें 50% की वृद्धि संभव है। चोपड़ा ने आगे कहा- "चूंकि मजदूरों में 60% लोग तम्बाकू का किसी न...

नई दिल्ली: विश्व में अधिकांश हिस्से के साथ भारत सिर और गर्दन कैंसर के मामलों के बहुत बड़े बोझ का सामना कर रहा है। सबसे ज्यादा संवेदनशील समाज का वंचित हिस्सा है, खासकर वर्कर्स और मजदूरों के बीच तम्बाकू के बड़े सेवन से यह समस्या विकराल है। इसके लिए राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं रिसर्च केंद्र (आरजीसीआईआरसी द्वारा सिर और गर्दन का कैसरः देखभाल से उत्तरजीविता तक का रास्ता (हैड एंड नेक कैसर ब्रिजिंग द गैप फ्रॉम क्योर ट्र सर्वाइवरशिप विषय पर आयोजित 'आरजीकॉन के 22 वें संस्करण 'आरजीकॉन 2024' में बीमारी के शीघ्र पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। 

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आरजीसीआईआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा ने कहा- "भारत में सभी तरह के कैंसर में से सिर और गर्दन के कैंसर के मामले 30% हैं, और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2040 तक इनमें 50% की वृद्धि संभव है। चोपड़ा ने आगे कहा- "चूंकि मजदूरों में 60% लोग तम्बाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं, इसलिए समाज में सबसे बड़ा खतरा इसी वर्ग पर है। इस कारण रोकथाम के उपाय बेहद जरूरी है, और इसमें बीमारी का शीघ्र पता चलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरुआती चरण में पता चलने पर कैंसर के 80% मामले ठीक हो सकते हैं। रोग निदान में तकनीक की भूमिका को रेखांकित करते हुए आरजीसीआईआरसी के सीईओ डी. एस नेगी ने एआई के जबरदस्त प्रभाव को रेखांकित किया। एआई एल्गोरिदम बहुत जल्द कैसर के पैटर्न की पहचान कर लेती हैं, जिससे रोग निदान की सटीकता बढ़ती है और समय भी कम लगता है। इस नवाचार से बीमारी के शीघ्र पता चतने और मरीज के स्वस्थ होने की संभावना में काफी उन्नति देखने को मिल रही है। कैंसर के इलाज की दिशा में हुए तकनीकी उन्नत्ति पर विचार-विमर्श करने के लिए आरजीकॉन 2024 में दुनियाभर से 250 फेकल्टी और 1000 डेलीगेट ने भाग लिया।

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आरजीसीआईआरसी में ऑन्कोलॉजी सर्विसेज के मेडिकल डायरेक्टर और जेनिटो यूरो के चीफ डॉ. (प्रो.) सुधीर कुमार रावत ने शोध और नवाचार को बढ़ावा देने में सम्मेलन की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि बतौर एक शैक्षणिक संस्थान आरजीसीआईआरसी शोध पर काफी ज्यादा जोर देता है। वहीं आरजीकॉन कैंसर के इलाज के क्षेत्र में उभर रहे नए रुझानों का पता लगाकर उन्हें अपनाने के लिए एक मंच का काम करता है। राष्ट्रीय कैसर संस्थान और ओटोलरीन्गोलॉजी विभाग, एम्स, दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. अलोक ठक्कर ने कैंसर देखभाल के क्षेत्र में आरजीसीआईआरसी के योगदान की सराहना करते हुए उसे आशा की किरण बताया। , उन्होंने कहा, "सामजिक कार्यकर्ताओं के समूह द्वारा स्थापित ये संस्थान ने कैंसर के इलाज के क्षेत्र में प्रशंसनीय मानक स्थापित किए हैं।

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आरजीसीआईआरसी में सिर एवं गर्दन ऑन्कोलॉजी के यूनिट हैड एवं सीनियर कंसलटेंट डॉ. मुदित अग्रवाल ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वैश्विक चिकित्सा समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा, इस वर्ष के सम्मेलन ने सर्जरी, रेडिएशन, मेडिकत ऑन्कोलॉजी और पैथोलॉजी के एक्सपर्टी के बीच सहयोग स्थापित करने में सहायता की है, जिससे मरीज देखभात में काफी उन्नति होने की उम्मीद है। सिर और गर्दन के कैंसर को एशिया के लिए समस्या बताते हुए आरजीसीआईआरसी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ ए. के. दीवान ने कहा, "यह गरीबों की बीमारी है, जिसके मुख्य कारण धुरहित तम्बाकू का सेवन और धूम्रपान है। भारत में कैंसर के हर सात लगभग 15 मिलियन नए मामले सामने आते है। साल 2022 2 में आरजीसीआईआरसी में लगभग 3000 मामले आये थे जो कि कैंसर के सभी मामलों के 19% थे। लेकिन, इनमें से से 30% से भी कम मरीजों की सर्जरी हुई क्योंकि हमारा फोकस बहुआयामी इलाज पर होता है।"

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आरजीकॉन 2024 में प्रोटॉन थेरेपी और ब्रेकीधेरेपी जैसे उपचार के उन्नत तौर-तरीके के साथ-साथ सिर और गर्दन के कैंसर की देखभाल में एआई का उपयोग जैसे कुछ प्रमुख सत्र देखने को मिले। इसके आलावा प्रभावी पुनर्निर्माण प्रणाली और वेहरे की पुनर्भावभंगिमा (रिएनिमेशन) तकनीकों पर विचार विमर्श के साथ साथ भारतीय सर्जिकत रोबोट, एसएसआई मंत्रा जैसे उत्तेलेखनीय नवाचार प्रदर्शित किए गए। आरजीकॉन 2024 को आयोजित करने वाली टीम में आयोजन सचिव डॉ. मुदित अग्रवाल के साथ यूनिट हेड एवं सीनियर कंसलटेंट, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, डॉ. मुनीश गेरोला, डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, डॉ. सुमित गोयल, एसोसिएट डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. रजत साहा, सीनियर कंसलटेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. सुनील पसरीचा, सीनियर कंसलटेंट पैथोलॉजी और डॉ विकास अरोड़ा, कंसलटेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी शामिल थे।

आरजीसीआईआरसी के बारे में:
वर्ष 1996 में स्थापित हुआ राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र कैसर के इलाज के लिए एशिया के प्रमुख अद्वितीय केंद्रों में गिना जाता है, जहां सुप्रसिद्ध सुपर स्पेशलिस्टों के देखरेख में अत्याधुनिक तकनीकों से विशिष्ट इलाज किया जाता है। लगभग 2 लाख वर्ग फुट में फैले और नीति बाग में एक और सुविधा के साथ रोहिणी में 500 बिस्तरों की वर्तमान क्षमता के साथ आरजीसीआईआरसी महाद्वीप के सबसे बड़े टर्टियरी कैसर देखभाल केंद्रों में से एक है। साढ़े तीन लाख (35) से ज्यादा मरीजों के सफल इलाज के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ संस्थान में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ तकनीके जैसे पूरे शरीर की रोबोटिक सर्जरी, साइबर नाइफ, टोमोथेरेपी, टू बीम (अगली पीढ़ी की इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी), इंट्रा-ऑपरेटिव ब्रेकीथेरेपी पीईटी एमआरआई फ्यूजन और अन्य उपलब्ध हैं। अब तक आरजीसीआईआरसी ने 2.75 लाख से अधिक रोगियों के जीवन को प्रभावित किया है। आरजीसीआईआरसी में थ्री स्टेज एपर फिल्ट्रेशन और गैस स्केवेजिंग सिस्टम के साथ 14 अत्याधुनिक सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और और डे-केयर सर्जरी के लिए 3 माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। संस्थान को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में घोषित किया जाता रहा रहा है है और इसे कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। यह भारत का एकमात्र संस्थान है जिसके पास कैसर सर्जरी के लिए 3 रोबोट है।

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