Banka Lok Sabha Seat: बांका में यादव वोटर ही तय करेंगे सांसद का चेहरा, जय प्रकाश और गिरधारी यादव में हो सकता है मुकाबला

Edited By Ramanjot, Updated: 29 Mar, 2024 02:53 PM

only yadav voters will decide the face of mp in banka

सन 1971 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिव चंडिका प्रसाद सांसद चुने गए। लेकिन 1977 में इस सीट पर समाजवादी नेता मधु लिमये ने कब्जा किया। साल 1980 में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी और चंद्रशेखर सिंह संसद पहुंचे। 1984 में भी सीट कांग्रेस के पास ही...

बांकाः बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक बांका लोकसभा सीट है। आजादी के बाद देश के लिए 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यह सीट अस्तित्‍व में नहीं था। साल 1957 में इसे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में गठित किया गया। पहली बार इस सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस की शकुंतला देवी ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद 1962 में भी शकुंतला देवी ही इस सीट से संसद चुनी गईं। 1967 में इस सीट पर भारतीय जनसंघ ने कब्जा जमाया और बी एस शर्मा सांसद चुने गए। 

सन 1971 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिव चंडिका प्रसाद सांसद चुने गए। लेकिन 1977 में इस सीट पर समाजवादी नेता मधु लिमये ने कब्जा किया। साल 1980 में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी और चंद्रशेखर सिंह संसद पहुंचे। 1984 में भी सीट कांग्रेस के पास ही रही लेकिन इस बार मनोरमा सिंह सांसद बनीं। 1989 और 1991 में इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार प्रताप सिंह को जीत मिली। वहीं 1996 में जनता दल के टिकट पर ही गिरधारी यादव सांसद चुने गए जबकि 1998 में SAP और 1999 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर दिग्विजय सिंह चुनाव जीते। 

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2004 में यह सीट RJD के खाते में गई और गिरधारी यादव एक बार फिर से सांसद चुने गए। वहीं 2009 में दिग्विजय सिंह एक बार फिर से निर्दलीय चुनाव जीते लेकिन 24 जून 2010 को उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी पुतुल कुमारी को जनता की सहानुभूति मिली और सांसद चुनी गईं। हालांकि मोदी लहर के बावजूद 2014 में यह सीट RJD के खाते में चली गई और जय प्रकाश नारायण यादव यहां से सांसद चुने गए। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू कैंडिडेट गिरधारी यादव ने जीत हासिल की थी। 

बांका के अंतर्गत आती हैं विधानसभा की 6 सीटें

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गौरतलब है कि बांका लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं, जिनमें बांका जिले के अमरपुर, धोरैया(SC), बांका, कटोरिया (ST), बेलहर और भागलपुर जिले के सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 

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2019 के लोकसभा चुनाव में बांका सीट पर जेडीयू कैंडिडेट गिरधारी यादव ने जीत हासिल की थी। गिरधारी यादव ने 4 लाख 77 हजार 788 वोट हासिल किया था। वहीं आरजेडी कैंडिडेट 2 लाख 77 हजार 256 वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था तो निर्दलीय कैंडिडेट पुतुल कुमारी ने एक लाख 3 हजार 729 वोट लाकर तीसरा स्थान हासिल किया। 

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 

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अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर आरजेडी के जयप्रकाश नारायण यादव ने 2 लाख 85 हजार 150 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। वहीं बीजेपी की पुतुल कुमारी 2 लाख 75 हजार 6 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहीं थी जबकि सीपीआई के संजय कुमार को 2 लाख 20 हजार 708 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा उचुनाव 2010 के नतीजे

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2010 में हुए लोकसभा उपचुनाव की बात करें तो निर्दलीय पुतुल कुमारी ने 2 लाख 88 हजार 958 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं आरजेडी के जय प्रकाश नारायण यादव 2 लाख 19 हजार 839 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे

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साल 2009 की बात करें तो निर्दलीय दिग्विजय सिंह ने 1 लाख 85 हजार 762 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं आरजेडी के जय प्रकाश नारायण यादव 1 लाख 57 हजार 46 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि जेडीयू  के दामोदर रावत को 1 लाख 11 हजार 933 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।

लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे 

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साल 2004 की बात करें तो आरजेडी के गिरधारी यादव ने 3 लाख 39 हजार 880 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं जेडीयू के दिग्विजय सिंह 3 लाख 35 हजार 211 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी  के रादेंद्र पंडित को महज 14 हजार 506 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

सवर्ण वोटर भी निभाते हैं अहम भूमिका 
26 अप्रैल को बांका में लोकसभा चुनाव होना है। आरजेडी ने इस बार बांका से जय प्रकाश यादव को टिकट दिया है। बांका में सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं और इनकी संख्या 3 लाख से ज्यादा है। इसके अलावा, सवर्ण वोटर भी किसी पार्टी की जीत और हार में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थ वोटरों की संख्या साढ़े 3 लाख के करीब है। इसके अलावा कुर्मी, कोयरी, महादलित और मुस्लिम वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। ये वोटर ही तय करेंगे कि बांका से इस बार किस उम्मीदवार को जीत मिलेगी। 

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