Edited By Ramanjot, Updated: 13 Apr, 2024 01:02 PM
व्रत का आज दूसरा दिन है। इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन यदि किसी भी तरह की आवाज हो तो व्रती खाना वहीं छोड़ देते हैं। इसलिए, इस दिन लोग यह ध्यान रखते हैं कि व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के समय आसपास शोर-शराबा ना...
पटना: बिहार में लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व चैती छठ के दूसरे दिन खरना व्रत की परंपरा है। राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा समेत अन्य नदियों और तालाबों में स्नान किया। स्नान करने के बाद व्रती समेत उनके परिवार के सदस्य गंगाजल लेकर अपने घर लौटे और पूजा की तैयारी में जुट गए हैं।
व्रत का आज दूसरा दिन है। इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन यदि किसी भी तरह की आवाज हो तो व्रती खाना वहीं छोड़ देते हैं। इसलिए, इस दिन लोग यह ध्यान रखते हैं कि व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के समय आसपास शोर-शराबा ना हो। खरना के मौके पर व्रती पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ भगवान भास्कर की आज शाम पूजा-अर्चना करेंगे। भगवान भास्कर को गुड़ मिश्रित खीर और घी की रोटी का भोग लगाकर स्वयं भी ग्रहण करेंगे। इसके बाद भाई-बंधु, मित्र और परिचितों में खरना का प्रसाद बांटा जाएगा। उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार एवं निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंद मूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं।
दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं। व्रत के दूसरे दिन खरना को लेकर सुबह से ही लोग दूध समेत अन्य सामानों की खरीददारी के लिए बाजारों के लिए निकल गए। दूध के साथ ही लोग अन्य सामानों जैसे चूल्हा, आटा, गुड़ समेत अन्य सामानों की खरीददारी करने में व्यस्त हैं। महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार के घर-घर में छठ के गीत गूंजने लगे हैं। ..केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय,आदित लिहो मोर अरगिया.., दरस देखाव ए दीनानाथ.., उगी है सुरुजदेव.., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार.., कांच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाय.., गीत सुनने को मिल रहे हैं।