Edited By Ramanjot, Updated: 26 Apr, 2024 08:05 AM
दरअसल, एनडीए की तरफ से जदयू के मौजूदा सांसद संतोष कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं तो वहीं राजद ने हाल ही में जनता दल यूनाईटेड (JDU) छोड़कर उनकी पार्टी में आई रूपौली की पांच बार से विधायक बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा पूर्णिया...
Bihar Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार की पांच सीटों भागलपुर, बांका, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार पर मतदान हो रहा है। इन सभी सीटों पर राजग और इंडिया गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है, लेकिन पूर्णिया सीट की तस्वीर थोड़ी अलग है। यहां राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर जाने से इस सीट पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में पूर्णिया का सियासी रण बेहद ही रोचक रहने वाला है।
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव
दरअसल, एनडीए की तरफ से जदयू के मौजूदा सांसद संतोष कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं तो वहीं राजद ने हाल ही में जनता दल यूनाईटेड (JDU) छोड़कर उनकी पार्टी में आई रूपौली की पांच बार से विधायक बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा पूर्णिया सीट कांग्रेस को नहीं मिलने से नाराज पप्पू यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पप्पू यादव के चुनावी मैदान में आ जाने के बाद इसी सीट मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
पप्पू यादव ने कांग्रेस में किया था जाप का विलय
बता दें कि कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के पति पप्पू यादव ने हाल ही में अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में इस आस में विलय कर दिया था कि उन्हें पूर्णिया से टिकट मिल जाएगा लेकिन उनकी उम्मीद पर उस समय पानी फिर गया जब इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच यह सीट बंटवारे के समझौते के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खाते में चली गई।
राजग का गढ़ रही पूर्णिया लोकसभा सीट
पिछले कुछ चुनावों पर यदि नजर डालें तो पूर्णिया लोकसभा सीट अब राजग का गढ़ है। वर्ष 2004 और 2009 में इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा तो पिछले 10 साल से जदयू के संतोष कुशवाहा पूर्णिया से जीत दर्ज कर रहे हैं। इस बार भी राजग के घटक दल जदयू ने संतोष कुशवाहा पर ही दांव लगाया है। पूर्णिया सीट से तीन बार सांसद रह चुके पप्पू यादव भी निर्दलीय ही सही चुनावी रण में कूद चुके हैं। इलाके के आम लोगों की बात करें तो मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, हां एक बात सब स्वीकार कर रहे हैं कि पप्पू यादव को यहां से खारिज करना राजग और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए मुश्किल होगा।