नहाय खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आगाज, श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में किया स्नान

Edited By Nitika, Updated: 05 Apr, 2022 11:52 AM

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आगाज आज नहाय खाय के साथ हो गया है। छठ पर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। एक बार कार्तिक मास और दूसरी बार चैत मास में छठ पर्व मनाया जाता है। आज से चैती छठ पर्व शुरू हो चुका है।

 

पटनाः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आगाज आज नहाय खाय के साथ हो गया है। छठ पर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। एक बार कार्तिक मास और दूसरी बार चैत मास में छठ पर्व मनाया जाता है। आज से चैती छठ पर्व शुरू हो चुका है।
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मंगलवार को श्रद्धालुओं के द्वारा गंगा नदी में स्नान किया गया। इस दौरान श्रद्धालु छठ में बनने वाले प्रसाद के उपयोग में लाए जाने वाले गेहूं को भी गंगा जल से धोते है और उसे सूखा कर घर ले जाते हैं। नहाय खाय के दिन स्नान करने के बाद श्रद्धालु अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं। उसके बाद फिर अगले दिन खरना होता है। उस दिन श्रद्धालु दिन भर उपवास करने के बाद शाम में गुड़ की खीर और रोटी ग्रहण करते हैं और उसको प्रसाद स्वरूप सबको बांटा जाता है। वहीं खरना के अगले दिन से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। उस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और शाम में नदी किनारे जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उसके अगले दिन फिर सुबह में उदयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाती है।
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यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से मनाया जाता है। हालांकि कार्तिक मास के छठ की तुलना में चैती छठ को मनाने वाले लोगों की संख्या काफी कम होती है, क्योंकि चैत महीने में गर्मी परवान पर होती है और उसमें 36 घंटे का निर्जला उपवास किसी तपस्या से कम नहीं है। उसके बावजूद भी भक्तों की आस्था कम नहीं होती है।
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