प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्रा का निधन, भारतीय इतिहास पर लिखी हैं कई किताबें

Edited By Ramanjot, Updated: 07 May, 2021 03:13 PM

eminent doctor padmashri dr mohan mishra passed away

ख्याति लब्ध चिकित्सक पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्रा का गुरूवार की रात निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। डॉ. मिश्रा के पुत्र डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि गुरुवार की रात डॉ. मिश्रा का हृदयाघात होने से बंगाली टोला स्थित आवास पर निधन हो गया है। उनका अंतिम...

दरभंगाः ख्याति लब्ध चिकित्सक पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्रा का गुरूवार की रात निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। डॉ. मिश्रा के पुत्र डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि गुरुवार की रात डॉ. मिश्रा का हृदयाघात होने से बंगाली टोला स्थित आवास पर निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मधुबनी जिला के कोईलख में आज शाम होगा।

डॉक्टर मिश्रा के परिवार में दो पुत्र दो और एक पुत्री हैै। उनकी एक पुत्री का निधन गत वर्ष हो गया था। चिकित्सक डॉक्टर मोहन मिश्रा का जन्म 19 मई 1937 को मधुबनी जिले के कोईलख गांव में हुआ था। वर्ष 1954 में उन्होंने बिहार यूनिवर्सिटी से आईएससी की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद एमबीबीएस और एमडी की डिग्री भी बिहार यूनिवर्सिटी से ही प्राप्त की। वर्ष 1962 में उन्होंने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बतौर रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर अपनी सेवा शुरू की थी। उसके बाद उन्होंने वर्ष 1970 में यूनाइटेड किंगडम से एमआरसीपी, वर्ष 1984 में एडिनबर्ग से एफआरसीसी एवं वर्ष 1988 में लंदन से एफआरसीपी की डिग्री प्राप्त की थी।

भारतीय इतिहास पर भी लिखी कई किताबें
डॉ मिश्रा ने चिकित्सकीय किताबों के अलावा भारतीय इतिहास पर भी कई किताबें लिखी। उन्होंने पानी शुद्धिकरण के लिए फिटकरी के उपयोग पर भी शोध किया था जिसके बाद पानी शुद्ध के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाने लगा। इसके अलावा डॉ मिश्रा ने कालाजार जैसे महामारी से बचाव के लिए भी फंगीजोन दवा की उपयोगिता को लेकर भी ख्याति मिली थी। 3 जून दवा कालाजार के रोग में काफी कारगर साबित हुई थी। डॉ मिश्रा कालाजार रोग के रोकथाम के लिए बिहार सरकार एवं भारत सरकार द्वारा बनाए गए एक्सपर्ट कमिटी के भी एक्सपोर्ट मेंबर के रूप में कार्य किए थे।

प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री अवार्ड से किया था सम्मानित
डॉ मिश्रा ने वर्ष 1995 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बतौर हेड ऑफ डिपाटर्मेंट स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। वही उन्हें डॉ राजेंद्र प्रसाद औरेटेशन अवार्ड और दिल्ली सरकार द्वारा भी उनके स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े आलेखों पर सम्मान दिया गया था। उनकी लिखी किताबों में इंडिया थ्रू एलियन आईस, बिल्डिंग एन एंपायर चाणक्य रिविजिटेड, क्लिनिकल मेथड इन मेडिसिन, मंगल पांडे टू लक्ष्मी बाई (ए स्टोरी ऑफ द इंडियन म्यूटीनी) प्रमुख है। कुल 10 किताबें प्रकाशित हैं। कालाजार में फंगीजोन दवा के उपयोग को लेकर उनका आलेख 'द लैंसेट' में भी प्रकाशित हुआ था। डॉ मिश्रा ने डिमेंशिया रोग में ब्राह्मणी बूटी के प्रयोग को लेकर रिसर्च कर रहे थे। भूलने की बीमारी डिमेंशिया में ब्राह्मणी बूटी का सेवन काफी लाभदायक पाया गया है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!