सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क संशोधन मामले में मुख्य सचिव को नोटिस जारी, हाईकोर्ट ने 15 दिनों के भीतर मांगा जवाब

Edited By Ramanjot, Updated: 03 Dec, 2022 12:16 PM

notice to the chief secretary regarding fee revision of government advocates

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता, स्टैंडिंग काउंसल एवं अन्य सहित सभी सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क पुनरीक्षण के लिए बिहार सरकार को आदेश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में उठाए गए बिन्दुओं पर मुख्य सचिव को...

पटनाः पटना उच्च न्यायालय ने सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क में संशोधन करने के मामले में शुक्रवार को बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता, स्टैंडिंग काउंसल एवं अन्य सहित सभी सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क पुनरीक्षण के लिए बिहार सरकार को आदेश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में उठाए गए बिन्दुओं पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2008 के बाद से सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

पीठ ने बिहार सरकार को याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई की तिथि 20 दिसंबर निर्धारित की गई है। इससे पहले बिहार के पूर्व महाधिवक्ता पी. के. शाही ने दलील दी थी कि पिछले 14 साल में सरकारी अधिवक्ताओं के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इस अवधि के दौरान सभी वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई लेकिन अधिवक्ताओं को अभी भी 2008 में संशोधित शुल्क ही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की औसत फीस 2750 रुपये से 3750 रुपये प्रतिदिन है।

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