Edited By Diksha kanojia, Updated: 18 Sep, 2021 10:33 AM
बादल ने कहा कि भारत सरकार केंद्रीय संस्थानों से राज्य को मिलने वाले बकाया राशि को पेंडिंग रखती है, लेकिन डीवीसी झारखंड राज्य को बिना बताए बिजली काट देती है, और बकाए भुगतान के लिए नोटिस भी करती है जो कहीं से उचित नहीं है। डीवीसी के बिजली काटने और...
रांचीः झारखंड सरकार के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल ने लखनऊ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 45 वीं बैठक में भाग लिया। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि राज्यों का जीएसटी मुआवजा अवधि जून 2022 में खत्म हो रहा है उसे बढ़ाया जाए, वही पब्लिक अंडरटेकिंग कंपनी पर बकाए की मांग रखी।
बादल ने कहा कि भारत सरकार केंद्रीय संस्थानों से राज्य को मिलने वाले बकाया राशि को पेंडिंग रखती है, लेकिन डीवीसी झारखंड राज्य को बिना बताए बिजली काट देती है, और बकाए भुगतान के लिए नोटिस भी करती है जो कहीं से उचित नहीं है। डीवीसी के बिजली काटने और नोटिस देने के खिलाफ उन्होंने काउंसिल में जोरदार तरीके से विरोध किया। कोयला के जीएसटी स्लैब में बदलाव की मांग राज्य हित में करने की बातें कहीं।
उन्होंने राज्य के जीएसटी मुआवजा के पैसे 1544 करोड़ की मांग की है, रॉयल्टी के रूप में 12725 करोड़ जो झारखंड को मिलना है उसकी ओर भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्व गत स्थितियां और राजकोषीय जरूरतों को सकारात्मकता और सहयोग के भाव से देखे जाने की आवश्यकता है। कोविड काल में मेडिसिन और उपकरणों में टैक्स की जो रियायत दी गई है उसकी सराहना हम करते हैं।
बादल ने बैठक के दौरान कहा कि किसी भी राज्य को समय पर रेवेन्यू लॉसेस की क्षतिपूर्ति जल्द मिले इसका ख्याल सेंटर रखें। खपत आधारित जीएसटी कर प्रणाली में झारखंड को कर राजस्व का नुकसान हो रहा है इसे देखने की आवश्यकता है। बैठक में सचिव वाणिज्य कर विभाग भी मौजूद थे।