Edited By Diksha kanojia, Updated: 24 Mar, 2022 12:34 PM
शिक्षामंत्री ने स्वीकार किया कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई। उन्होंने बताया कि कोविड काल में ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन 17 मार्च 2020 से लेकर 3 जनवरी 2022 तक बच्चों की सुरक्षा को देखते नहीं किया गया। हालांकि इस दौरान 1 से 12 में अध्ययनरत...
रांचीः झारखंड के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो ने विधानसभा में भाजपा विधायक सीपी सिंह के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्य सरकार चुनाव को छोड़कर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाती हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार में तो शिक्षकों को दारू बेचवाया जाता था।
शिक्षामंत्री ने स्वीकार किया कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई। उन्होंने बताया कि कोविड काल में ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन 17 मार्च 2020 से लेकर 3 जनवरी 2022 तक बच्चों की सुरक्षा को देखते नहीं किया गया। हालांकि इस दौरान 1 से 12 में अध्ययनरत 46.15लाख बच्चों में से कोरोना काल में 16 लाख बच्चों को डिजी साथ झारखंड डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम से जोड़ा गया। इसके अतिरिक्त 10 लाख बच्चों को दूरदर्शन के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत विद्यालय से बाहर रह गए बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई हैं। इसके लिए प्रत्येक वर्ष प्रारंभिक विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती हैं।
इसके लिए प्रत्येक वर्ष प्रारंभिक विद्यालय के शिक्षकों के माध्यम से बाल पंजी अद्यतन करते हुए विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों को चिह्नित किया जाता हैं, ताकि उन्हें विद्यालय से जोड़ने के लिए भारत सरकार को प्रेषित बजट प्रस्ताव में ऐसे बच्चों की विवरणी प्रस्तुत की जा सके, जिसके आधार पर इन बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण के लिए आवश्यक बजट स्वीकृत कराया जा सके। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में शिशु पंजी अद्यतन कार्य डहर ऐप के माध्यम से 7 से 25 जनवरी के बीच करने का निर्देश सभी जिलों को दिया गया। इस अवधि में कोविड महामारी के कारण 1 से 8 वाले सभी विद्यालय बंद थे, सिर्फ शिक्षकों को विद्यालय जाने के लिए निर्देश निर्गत किया गया था।