झारखंड वन विभाग ने जंगली भैंसों की घटती संख्या को बढ़ाने के लिए शुरू किया अध्ययन

Edited By Khushi, Updated: 19 Jan, 2025 05:21 PM

jharkhand forest department started study to increase the declining

झारखंड वन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में गौर के नाम से लोकप्रिय बायसन (जंगली भैंसों) की घटती आबादी को बढ़ाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

रांची: झारखंड वन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में गौर के नाम से लोकप्रिय बायसन (जंगली भैंसों) की घटती आबादी को बढ़ाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने दावा किया कि बाघों के भोजन का स्रोत गोजातीय भैंसा पीटीआर को छोड़कर पूरे झारखंड से विलुप्त हो चुका है। पीटीआर में केवल 50-70 जंगली भैंसे बचे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक अवैध शिकार, संक्रमण और स्थानीय मवेशियों द्वारा उनके नैसर्गिक आवास में अतिक्रमण झारखंड से जंगली भैंसों के लुप्त होने के प्रमुख कारण हैं। राज्य वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य डीएस श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एक समय झारखंड के सारंडा, दलमा, हजारीबाग, गुमला और कुछ अन्य जंगलों में जंगली भैंसे बहुतायत में थे, लेकिन ये पूरे राज्य से विलुप्त हो गए। पीटीआर, मुख्य रूप से बेतला रेंज, एक मात्र अंतिम ठिकाना बचा है, जहां जंगली भैंसे हैं, लेकिन उनकी संख्या में गिरावट आ रही है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि मवेशी पीटीआर में पशु जीवन के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पीटीआर के गांवों के आसपास के 1.5 लाख से अधिक पालतू मवेशियों ने जंगली भैंसों के अधिकांश स्थान पर कब्जा कर लिया है। वे जंगली भैंसों का चारा खा रहे हैं और मुंह और खुरपका जैसी कई बीमारियां भी फैला रहे हैं। वन विभाग को मवेशियों के चरने पर रोक लगाने की जरूरत है।''

पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने कहा कि वे जानवर पर प्रभाव डालने वाले कारकों का पता लगाने के लिए अध्ययन कर रहे हैं। आशुतोष ने बताया, ‘‘उनके व्यवहार से लेकर जीवित रहने की आवश्यकताओं तक विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है, ताकि उनकी संख्या बढ़ाई जा सके।'' पीटीआर के क्षेत्र में कार्यरत उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया, ‘‘हम उन घासों की प्रजातियों का भी अध्ययन कर रहे हैं, जिन्हें वे पसंद करते हैं, उनके आवास को कैसे बेहतर बनाया जाए और उनकी संख्या कैसे बढ़ाई जाए। अध्ययन के बाद, हम उनके पुनरुद्धार के लिए एक व्यापक योजना तैयार करेंगे।'' उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में पीटीआर में करीब 150 जंगली भैंसों का निवास था। जेना ने बताया, ‘‘इस समय इनकी संख्या 50 से 70 के बीच है। बाघों के दृष्टिकोण से भी इनकी संख्या बढ़ाना अहम है। सांभर और चीतल के अलावा ये बाघों के लिए भोजन का अच्छा स्रोत हैं।'' 

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