West Bengal Election... मेदिनीपुर की 18 सीटों पर दीदी और दादा में चल रही है कड़ी टक्कर

Edited By Nitika, Updated: 01 Apr, 2021 11:46 AM

direct fight between bjp and tmc is going on in east and west medinipur

पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर दूसरे चरण का चुनाव चल रहा है। 1 अप्रैल को बंगाल के चार जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर चल रही है। दूसरे चरण में पूर्व मेदिनीपुर जिले की 9 सीट और पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 सीट पर...

 

कोलकाता(विकास कुमार): पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर दूसरे चरण का चुनाव चल रहा है। 1 अप्रैल को बंगाल के चार जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर चल रही है। दूसरे चरण में पूर्व मेदिनीपुर जिले की 9 सीट और पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 सीट पर चुनाव जारी है। वहीं नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी की लड़ाई पर बंगाल सहित पूरे देश की नजर टिकी हुई है।

नंदीग्राम ने 2011 से ही पश्चिम बंगाल की राजनीति की दशा और दिशा तय की है। 2021 में भी नंदीग्राम में कई लेभल पर सियासी लड़ाई चल रही है। एक तरफ ममता बनर्जी इस इलाके में अपनी सियासी पकड़ को एक बार फिर से साबित करने में लगी हैं तो दूसरी तरफ नंदीग्राम और मेदिनीपुर के भूमिपुत्र माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी अपने गढ़ को बचाने में लगे हैं। ममता बनर्जी और शुभेंदु के बीच लड़ाई दो विचारधारा और पार्टी के बीच लड़ाई भी मानी जा रही है। अगर ममता बनर्जी यहां से चुनाव जीत गईं तो मेदिनीपुर में अधिकारी परिवार की सियासी साख भी दांव पर लग जाएगी। वहीं अगर ममता दीदी यहां से पिछड़ गईं तो अधिकारी परिवार एक बार फिर मेदिनीपुर में अपना वर्चस्व स्थापित कर देगा।

1 अप्रैल को पूर्वी मेदिनीपुर की 9 सीट और पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 सीट पर टीएमसी और बीजेपी में कांटे की टक्कर चल रही है। पूर्वी मेदिनीपुर और पश्चिमी मेदिनीपुर की 18 सीट पर हो रहे चुनाव एक तरह से ममता दीदी के लिए नाक की लड़ाई साबित हो रही है। वहीं वोटरों में भी मतदान को लेकर भारी उत्साह नजर आ रहा है। पूर्वी मेदिनिपुर की 16 सीटों में से 13 सीटों पर 2016 के विधानसभा चुनाव से तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए 2016 के परफॉर्मेंस को बरकरार रखने की कड़ी चुनौती है, हालांकि इस बार पूर्वी मेदिनीपुर का सियासी माहौल पूरी तरह से बदला बदला नज़र आ रहा है। कभी सीपीएम के गढ़ माने जाने वाले पूर्वी मेदिनिपुर में 2011 के चुनाव में तृणमूल का झंडा लहराया था। लेकिन इस बार तृणमूल के सिपहसालार शुभेंदु अधिकारी के भगवा झंडा थामने के बाद बीजेपी की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। इस बार पूर्वी मेदिनिपुर जिला बंगाल का राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। नंदीग्राम विधानसभा सीट बीते 12 सालों से बंगाल की राजनीति का सबसे हॉट सीट बना हुआ है।

वहीं वाममोर्चा को भी अपनी सीट बचाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। पूर्वी मेदिनीपुर की 9 विधानसभा सीटों पर मतदान चल रहा है। तामलुक, पंश्कुरा पूर्वी, पंश्कुरा पश्चिम,मोएना, नंदकुमार और महिषादल सीट पर टीएमसी-बीजेपी में जबरदस्त टक्कर चल रहा है। वहीं हल्दिया-चांदीपुर विधानसभा सीट में भी अधिकारी परिवार और ममता दीदी के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। नंदीग्राम सीट पर भी शुभेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी के बीच की लड़ाई पर देश दुनिया की नज़र टिकी हुई है। अगर नंदीग्राम सीट की बात करें तो टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी यहां से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि लेफ्ट-कांग्रेस और आईएसएफ के गठबंधन ने मीनाक्षी मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया है। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने इस सीट से 66.8 फीसदी वोट हासिल किया था। शुभेंदु अधिकारी ने 1 लाख 34 हजार 623 वोट मिले थे।

वहीं लेफ्ट कैंडिडेट अब्दुल करीम शेख 26.5 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। शेख को 53 हजार 393 वोट मिले थे। शुभेंदु अधिकारी के जीत का अंतर 81 हजार 230 वोटों का था, जबकि 2016 में बीजेपी उम्मीदवार को केवल 5.32 फीसदी वोट मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी टीएमसी ने नंदीग्राम में अपना दबदबा बनाए रखा था। लोकसभा चुनाव में नंदीग्राम में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर 68 हजार 391 वोटों से बढ़त हासिल की थी। टीएमसी को नंदीग्राम में 63.1 फीसदी वोट मिले थे जबकि बीजेपी को केवल 30.1 फीसदी वोट ही मिल पाए थे। नंदीग्राम के मतदाताओं में 23 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 16 फीसदी है। वहीं चांदीपुर सीट भी पूर्वी मेदिनीपुर के चर्चित सीट में से एक है। चांदीपुर विधानसभा सीट नंदीग्राम से सटा हुआ इलाका है। ये सीट कांथी लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है। इस निर्वाचन क्षेत्र में टीएमसी ने बांग्ला एक्टर सोहम चक्रवर्ती को उम्मीदवार बनाया है। सोहम चक्रवर्ती के खिलाफ बीजेपी ने पुलक कांति गुड़िया और वाम-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने आशीष कुमार गुचैत को उम्मीदवार बनाया है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 11 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।

पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 विधानसभा सीट पर भी बीजेपी टीएमसी में सीधी लड़ाई चल रही हैः-
खड़गपुर सदर, नारायणगढ़, सबांग,पिंगला, देबरा और दशपुर में ममता दीदी बेहद कड़े मुकाबले को झेल रही हैं। घटाल चंद्रकोना और केशपुर सीट पर बीजेपी ने ममता दीदी के नाक में दम कर रखा है। इन सीटों पर भी अधिकारी परिवार का बहुत गहरा प्रभाव रहा है। बीजेपी को कैडर वोटों के अलावा अधिकारी परिवार के परंपरागत वोटरों का भी सहारा मिल रहा है।

सबंग विधानसभा सीट पश्चिमी मेदिनीपुर जिले की हॉट सीट बन गई हैः-
टीएमसी उम्मीदवार मानस भुइयां की वजह से सबंग सीट पर सबकी नज़र टिक गई है। बंगाल की राजनीति में मानस भुइयां नाम और सबंग विधानसभा सीट एक दूसरे के पर्यायवाची माने जाते है। मानस भुइयां 1982, 1987, 1991, 2006, 2011 और 2016 में इस सीट से विजयी रहे हैं। वहीं बीजेपी ने इस सीट से अमूल्य माईति को उम्मीदवार बनाया है तो लेफ्ट-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने चिरंजीब भौमिक को सबंग में उतारा है। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में मानस भूइयां ने 59 फीसदी वोट के साथ इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी का वर्चस्व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा था, हालांकि बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़कर 41 फीसदी हो गया था। टीएमसी ने इस चुनाव में सबंग से 44 फीसदी वोट हासिल किया था और बीजेपी उम्मीदवार से केवल 6 हजार 170 वोटों की बढ़त बनाई थी।

पश्चिम मेदिनीपुर जिले के डेबरा सीट से 2 पूर्व आईपीएस अधिकारी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैंः-
बीजेपी ने यहां से पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष और टीएमसी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर को उम्मीदवार बनाया है। टीएमसी के उम्मीदवार हुमायूं कबीर ने अपने पद से इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में कूद गए हैं। डेबरा सीट पर दोनों पूर्व आईपीएस अधिकारी की सियासी जंग पर पूरे पश्चिम बंगाल की नजर टिक गई है।

पश्चिमी मेदिनीपुर का खड़गपुर विधानसभा सीट भी काफी महत्वपूर्ण हैः-
2016 के विधानसभा चुनाव में खड़गपुर उन तीन सीटों में से एक था। जिन पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। यहां से जीतने वाले उम्मीदवार दिलीप घोष ही आज बंगाल में बीजेपी की कमान संभाल रहे हैं। टीएमसी ने यहां से प्रदीप सरकार तो बीजेपी ने बांग्ला एक्टर हिरनमय चटर्जी को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं लेफ्ट-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने रीता शर्मा को खडंगपुर सदर से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट के नतीजे पर दिलीप घोष की सियासी साख की अग्नि परीक्षा हो रही है। पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर से बीजेपी को बड़ी उम्मीद है।

वहीं नंदीग्राम से मोर्चा संभाल कर ममता दीदी ने बीजेपी के खिलाफ ऐलान ए जंग कर दिया है। दोनों ही जिलों की सीटों पर अधिकारी परिवारी की साख भी दांव पर लगी है। ममता दीदी और शुभेंदु दादा अपने अपने जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन 2 मई को आने वाले नतीजे ही बताएंगे कि मेदिनीपुर की जनता ने किसके सिर पर राजतिलक लगाया है।

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