Edited By Ramanjot, Updated: 17 Nov, 2020 04:00 PM
नीतीश सरकार में कैबिनेट सदस्यों के बीच विभाग का बंटवारा कर दिया गया है। वहीं जदयू कोटे से मेवालाल चौधरी को शिक्षा विभाग का कार्यभार दिया गया है। शिक्षा विभाग का कार्यभार मिलने के बाद उनके नाम की काफी चर्चा हो रही है। चर्चा हो भी क्यों न, दरअसल ये वो...
पटनाः नीतीश सरकार में कैबिनेट सदस्यों के बीच विभाग का बंटवारा कर दिया गया है। वहीं जदयू कोटे से मेवालाल चौधरी को शिक्षा विभाग का कार्यभार दिया गया है। शिक्षा विभाग का कार्यभार मिलने के बाद उनके नाम की काफी चर्चा हो रही है। चर्चा हो भी क्यों न, दरअसल ये वो ही मेवालाल चौधरी हैं, जिनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था और नीतीश कुमार ने इनको पार्टी से निकाल दिया था।
आपको बता दें कि मेवालाल चौधरी पर कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर कम जूनियर साइंटिस्ट के पद की बहाली में घोटाले और धांधली करने का आरोप लगा था। कृषि कॉलेज को नीतीश सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया तो मेवालाल चौधरी को यहां का पहला कुलपति बनाया गया था। जब मेवालाल कुलपति बने तो उनकी पत्नी नीता चौधरी जदयू से विधायक बनीं। इसके बाद जब मेवालाल रिटायर हुए तो नीतीश ने 2015 में उनको जदयू से टिकट दे दिया और वे तारापुर विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए।
सबौर कृषि विश्वविद्यालय में 161 कनीय शिक्षक और वैज्ञानिकों की बहाली में धांधली का आरोप विपक्ष में रहते सुशील कुमार मोदी ने सदन में उठाया था। उनकी मांग पर ही राजभवन ने रिटायर जस्टिस महफूज आलम से गड़बड़ियों की जांच कराई गई थी। इसके बाद जज ने 63 पन्ने की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि की थी। इसी आधार पर मेवालाल चौधरी के खिलाफ थाना सबौर में 35/17 नंबर की एफआईआर दर्ज की थी।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मेवालाल के खिलाफ विपक्षी तेवर कड़े हो गए, जिसके चलते नीतीश कुमार ने इन्हें जदयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया वहीं अब 2020 के चुनाव में फिर से विधायक निर्वाचित होने पर मेवालाल को मंत्री पद मिल गया है। अभी भी मेवालाल चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467 468, 471 और 120 बी के तहत भ्रष्टाचार के मुकदमा दर्ज है और भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में अभी भी मामला लंबित है।