CM नीतीश की दूरदर्शी नीति से नालंदा, गया और नवादा में पहुंचा गंगाजल, आज के युग के भागीरथ बने सुशासन बाबू

Edited By Nitika, Updated: 11 Nov, 2022 04:27 PM

gangajal reached nalanda gaya and nawada due to the visionary policy of cm

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कीछवि एक दूरदर्शी सोच रखने वाले राजनेता की है। जब बिहार में साल 2005 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी संभाली थी तब विकास के हर पैमाने में राज्य अंतिम पायदान पर आता था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले...

 

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कीछवि एक दूरदर्शी सोच रखने वाले राजनेता की है। जब बिहार में साल 2005 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी संभाली थी तब विकास के हर पैमाने में राज्य अंतिम पायदान पर आता था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर का कायापलट किया।
 
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बिहार जैसे बड़े राज्य के कोने-कोने तक सड़क और बिजली पहुंचाने की कठिन समस्या का नीतीश बाबूने समाधान निकाला। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। आज आप बिहार के जिस इलाके में भी जाएंगे, वहां चमचमाती सड़क पाएंगे। रात के अंधेरे में बिजली सेचमकते गांव नीतीश कुमार के कामकाज के तरीके की सच्चाई बयान करते हैं। महिला सशक्तिकरण को भी सरकार ने मिशन बनाया। 35 फीसदी महिला आरक्षण लागू करने के बाद बिहार की लड़कियों में पढ़ाई का क्रेज नजर आने लगा है। सुबह जब आप टहलने निकलते हैं तो साइकिल पर सवार बेटियां पढ़ाई के लिए जाती दिखाई देती है।

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गंगाजल से बुझेगी 11 लाख लोगों की प्यास, 2051 तक पिलाने का लक्ष्य
सामाजिक बदलाव के साथही नीतीश कुमार ने बिहार के अपेक्षाकृत सूखे जिलों के संकट पर भी ध्यान दिया। गंगा उद्वह परियोजना के जरिए तीन प्रमुख शहर राजगीर, गया और नवादा की लगभग 11 लाख आबादी की प्यास अब गंगाजल से बुझेगी। आने वाले समय में भी यहां पर पानी कीकिल्लत न हो इसके लिए इस परियोजना को साल 2051 की आबादी को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। गंगाजल को नालंदा, नवादा और गया ले जाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। पहले प्वाइंट यानी नालंदा और नवादा के सीमा क्षेत्र में बने वाटर टैंक तक पानी पहुंच गया है। नीतीश बाबू के इस दूरदर्शी परियोजना की वजह से आज उन्हें बिहार का भागीरथ कहा जा रहा है।

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उत्तर बिहार से लिफ्ट कर दक्षिण बिहार लाया गया गंगाजल 
सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती पाइपलाइन के जरिए गंगाजल को उत्तर बिहार से दक्षिण बिहार ले जाने की थी। इसके लिए सबसे पहले हाथीदह में गंगा नदी से कैनाल के द्वारा गंगाजल पंप हाउस में लाया जाता है। इसके बाद यहां लगे तीन बड़े-बड़े मोटरों की मदद से गंगाजल को करीब 92 किलोमीटर दूर नवादा के मोतनाजे डिटेंशन टैंक और वहां से थोड़ी दूर स्थित राजगीर के घोड़ा कटोरा जलाशय में भेजा जाता है। इस परियोजना की कुल लंबाई 190 किलोमीटर है। ऐसे में गंगाजल को पहुंचाने के लिए बड़े पाइप का सहारा लिया गया है, जिस प्रकार गैस और पेट्रोल के पाइपलाइन बिछाए जाते हैं, कुछ उसी तरीके से 1.2 मीटर चौड़ी पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है। पाइपलाइन ज्यादातर जगहों पर जमीन से 10 फीट नीचे है और कई जगहों पर पाइपलाइन का एक हिस्सा मेंटेनेंस और एयर फ्लो के लिए बाहर रखा गया है। आज इस पाइपलाइन के माध्यम से राजगीर के घोड़ा कटोरा जलाशय में गंगाजल लबालब भरा हुआ है। इससे आने वाले समय में पूरे इलाके में अंडरवाटर रिफिलिंग के जरिए वाटर लेवल में भी सुधार देखने को मिलेगा। साथ ही घोड़ा कटोरा जलाशय का नयनाभिराम नजारा आने वाले वक्त में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बन जाएगा।

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2019 में शुरू हुआ काम, 4200 करोड़ रुपए आई लागत
इस परियोजना को तैयार करने में लगभग 4200 करोड़ रुपए की लागत आई है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2019 में की थी। बता दें कि इस योजना के तहत नवादा, नालंदा और गया जिले को 190 किलोमीटर पाइपलाइन के जरिए हाथीदह से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा था, जिस अब लगभग पूरा कर लिया गया है। गंगाजल आपूर्ति योजना की निर्माण एजेंसी अगले 5 साल तक इसका रख-रखाव भी करेगी। हाथीदाह से गंगाजल की लिफ्टिंग साल में चार महीने होने वाले बरसात के मौसम में ही किया जाएगा। इसी वक्त यहां से पानी को लिफ्ट कर डिटेंशन टैंक तक भेजा जाएगा, जिससे बाकी बचे साल के आठ महीने पेयजल के लिए जलापूर्ति और सिंचाई की योजना चलाई जाएगी। गंगाजल को लोगों के घरों तक पहुंचाने के लिए पहले इसे मोतनाजे डिटेंशन सेंटर से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जाएगा, जहां से पानी को शुद्ध कर राजगीर और उसके आसपास के गांवों में लोगों के घरों तक नल से गंगाजल पहुंचाया जाएगा। 

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नीतीश बाबू के गंगा उद्वह प्रोजेक्ट से निकलेगी आगे की राह
बिहार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उत्तर बिहार साल के चार महीने बाढ़ से डूबा रहता है। वहीं राज्य का एक हिस्सा सुखाड़ की चपेट में रहता है। इस प्रोजेक्ट की सफलता से आगे भी नदी जोड़ो योजना के जरिए बाढ़ और सुखाड़ की समस्या से निपटा जा सकेगा। साफ है कि नीतीश बाबू की इस योजना से उनके दूरदर्शी सोच का पता चलता है। आजादी के बाद से नीतीश बाबू बिहार के अकेले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने नदी जोड़ो योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए निर्णायक कदम उठाया है। नीतीश बाबू की इस दूरदर्शी योजना में समृद्ध बिहार बनाने का संकल्प नजर आता है।  

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