PM Modi Bihar Visit: प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के राजगीर में प्राचीन नालंदा के अवशेषों का किया अवलोकन

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Jun, 2024 12:17 PM

prime minister modi overview the remains of ancient nalanda

प्रधानमंत्री आज यहां नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन भी किया। प्रधानमंत्री के नालंदा दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्किल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री को...

राजगीर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल प्राचीन नालंदा के खंडहरों का बुधवार को दौरा किया। प्राचीन नालंदा के खंडहरों में मठ और शिक्षण संस्थान के पुरातात्विक अवशेष शामिल हैं। इसमें स्तूप, मंदिर, विहार (आवासीय और शैक्षणिक भवन) तथा प्लास्टर, पत्थर और धातु से बनी महत्वपूर्ण कलाकृतियां शामिल हैं। नालंदा भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। 

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प्रधानमंत्री आज यहां नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन भी किया। प्रधानमंत्री के नालंदा दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्किल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री को प्राचीन खंडहरों के बारे में जानकारी दी। मोदी ने नालंदा दौरे से पहले सुबह सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। आज राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया जाएगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत मददगार साबित होगा।'' 

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विश्वविद्यालय का नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहरों के स्थल के करीब है। इस परिसर की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से की गई थी। इस अधिनियम में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 2007 में फिलीपीन में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए एक निर्णय को लागू करने का प्रावधान किया गया था। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवीं शताब्दी में हुई थी जिसने दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित किया था। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। नए विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान पर काम करना शुरू किया। विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ। इस विश्वविद्यालय में भारत के अलावा 17 अन्य देशों.. ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमा, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, वियतनाम और थाईलैंड की भागीदारी है। इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

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विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। शैक्षणिक वर्ष 2022-24, 2023-25 ​​के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और 2023-27 के पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए नामांकित अंतरराष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, केन्या, लाओस, लाइबेरिया, म्यांमा, मोजाम्बिक, नेपाल, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, दक्षिण सूडान, श्रीलंका, सर्बिया, सिएरा लियोन, थाईलैंड, तुर्किये, युगांडा, अमेरिका, वियतनाम और जिम्बाब्वे के विद्यार्थी शामिल हैं। विश्वविद्यालय में छह अध्ययन केंद्र हैं जिनमें बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; और सतत विकास और प्रबंधन स्कूल शामिल हैं। 

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