बिहार में NDA घटकों के बीच संबंधों में आए तनाव का फायदा उठाना चाहता है RJD

Edited By Nitika, Updated: 30 Dec, 2020 05:58 PM

rjd seeks to take advantage of tensions in relations between nda

अरुणाचल प्रदेश में जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद बिहार में एनडीए घटकों के संबंधों में आई खटास का राजद लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राजद को विपक्ष में बैठना पड़...

 

पटनाः अरुणाचल प्रदेश में जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद बिहार में एनडीए घटकों के संबंधों में आई खटास का राजद लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राजद को विपक्ष में बैठना पड़ रहा है।

विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजद में शामिल हुए जदयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने बुधवार को राजग में तनाव का फायदा उठाने का प्रयास करते हुए दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के 15 विधायक उनका साथ छोड़ कर राजद में आने को तैयार हैं। पिछले विधानसभा में जदयू के उपनेता रजक ने कहा, ‘‘मौजूदा गठबंधन में सभी को घुटन महसूस हो रही है जहां मुख्यमंत्री प्रभावशाली भाजपा के समक्ष बेबस नजर आ रहे हैं।'' उन्होंने दावा किया कि जदयू विधायकों के पार्टी छोड़कर उनके पाले में आने की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी गई है क्योंकि राजद को आशा है कि अन्य विधायक भी उनके नक्शे कदम पर चलना चाहेंगे और ‘‘संख्या पार्टी के विभाजन के लिए पर्याप्त हो जाएगी, जोकि दल-बदल कानून के तहत गलत नहीं होगा।'' जदयू के पास फिलहाल 43 विधायक हैं। अरुणाचल प्रदेश में जदयू के 7 में 6 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद राजद नेताओं के ताजा बयानों में रजक ने यह दावा किया है। उधर, जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई बैठक में पार्टी ने पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘गठबंधन की राजनीति की आत्मा का हनन'' करने को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुखर प्रवक्ता केसी त्यागी ने हालांकि कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ उसका असर बिहार पर नहीं होगा लेकिन जदयू इससे ‘‘आहत'' जरूर हुआ है। वहीं भाजपा नेता बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि अरुणाचल प्रदेश में पार्टी ने जदयू नेताओं को ‘‘खरीदा'' नहीं है। हालांकि, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में दल-बदल और बिहार में चिराग पासवान के लोजपा के विद्रोह में संबंध है। पहले जदयू का हिस्सा रहे तिवारी ने कहा, ‘‘भाजपा के साथ रणनीतिक समझौते के बगैर विधानसभा चुनाव में लोजपा वह कभी नहीं कर पाती जो उसने किया। जदयू को तकलीफ झेलनी पड़ी और उसकी संख्या भाजपा से भी कम हो गई।''

अनुभवी समाजवादी नेता का विचार है कि भाजपा 2013 में राजग का साथ छोड़ने और प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए नीतीश कुमार से हिसाब चुकता कर रही है। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी ऐसे व्यक्ति हैं जो ‘‘कभी नहीं भूलता और कभी माफ नहीं करता।'' तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर राजग से बाहर निकलने की सोचते हैं तो राजद और जदयू के बीच फिर से गठबंधन हो सकता है लेकिन ‘‘इस वक्त गेंद उनके पाले में हैं और उन्हें तय करना है कि उनके लिए क्या महत्वपूर्ण है आत्मसम्मान या सत्ता।'' पिछले कुछ साल से राजद से जुड़े लेकिन नीतीश कुमार के पुराने विश्वासपात्र रहे उदय नारायण चौधरी का कहना है, ‘‘नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए और राजद से बाहर हो जाना चाहिए। उन्हें तेजस्वी यादव को नयी सरकार बनाने में मदद करना चाहिए । 2024 में राजद उनके एहसान का बदला चुकाते हुए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनका साथ देगा।''

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा ‘‘पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता होने के नाते मैं कह सकता हूं कि यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसका समर्थन किया जाए इसका फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा।'' हालांकि वह चौधरी की इस बात से सहमत हैं कि कुमार को तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने में मदद करनी चाहिए। राजद प्रवक्ता ने कहा, ‘‘राजग अस्थिर है और हमारे नेता निकट भविष्य में सरकार बनाएंगे। नीतीश कुमार के लिए यह उचित होगा कि इतिहास में सही पक्ष में रहें।'' इस बीच, बिहार में राजग ने राजद खेमे में आए उत्साह पर आश्चर्य जताया और आरोप लगाया कि विपक्षी दल ‘‘सत्ता का भूखा है।''
 

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