Edited By Harman, Updated: 01 Dec, 2025 09:59 AM

झारखंड: झारखंड में पारा गिरने के साथ ही प्रवासी पक्षी जलाशयों की ओर रुख कर रहे हैं और अपनी चहचहाहट एवं रंगीन दृश्यों से पक्षी प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं। हर साल की तरह, इस बार भी हजारों प्रवासी पक्षी अपने मूल क्षेत्रों पर पड़ रहे अत्यधिक ठंड से...
झारखंड: झारखंड में पारा गिरने के साथ ही प्रवासी पक्षी जलाशयों की ओर रुख कर रहे हैं और अपनी चहचहाहट एवं रंगीन दृश्यों से पक्षी प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं। हर साल की तरह, इस बार भी हजारों प्रवासी पक्षी अपने मूल क्षेत्रों पर पड़ रहे अत्यधिक ठंड से बचने के लिए झारखंड को अपना शीतकालीन ठिकाना बना रहे हैं।
एशियाई जलपक्षी गणना (एडब्ल्यूसी) के झारखंड समन्वयक सत्य प्रकाश ने बताया, ‘‘ये पक्षी भोजन के लिए और मध्य एशिया, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया और तिब्बती पठार में पड़ने वाली अत्यधिक ठंड से खुद को बचाने के लिए झारखंड में सर्दियों के मौसम के दौरान बांधों, झीलों, नदियों और अभयारण्यों जैसे विभिन्न जलाशयों में शरण लेते हैं।'' उन्होंने बताया कि उधवा झील पक्षी अभयारण्य (साहिबगंज), पतरातू बांध (रामगढ़), तोपचांची झील, तिलैया और मैथन बांध (धनबाद), कांके और रूक्का बांध (रांची), डिमना झील (जमशेदपुर), बास्का बांध (चतरा) और अन्य जल निकायों में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है।
उधवा झील अभयारण्य बना प्रमुख ठिकाना
उन्होंने बताया कि साहिबगंज स्थित उधवा अभयारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए पसंदीदा स्थानों में से एक रहा है। उन्होंने बताया कि साहिबगंज जिले में स्थित इस 565 हेक्टेयर के अभयारण्य में गंगा नदी की दो प्राकृतिक अप्रवाही झीलें हैं, जिनमें पटौरा और बरहले शामिल हैं। साहिबगंज प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) प्रबल गर्ग ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह राज्य का एकमात्र रामसर स्थल है और लगभग 160 पक्षी प्रजातियों का घर है। गर्ग के अनुसार, सर्दियों में सबसे ज्यादा आने वाले पक्षियों में काला धारीदार हंस, उत्तर धारीदार बत्तख, मुर्गाबी, कलहंस, गैडवॉल, गुरगल बत्तख और लाल चोंच एवं लाल कलगी वाली बत्तख शामिल हैं जबकि लाल अंजन, घोंघिल, लिटिल ग्रेब और कौड़िल्ला अभयारण्य की साल भर की पक्षी विविधता में योगदान करते हैं।
30 हजार तक पहुंच सकती है संख्या
विशेषज्ञों के अनुसार, हर साल लगभग 25,000 से 30,000 प्रवासी पक्षी राज्य के जलाशयों में आते हैं। वन विभाग ने प्रभागीय वन अधिकारियों को वन सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने को कहा है, जो जलाशयों में गतिविधियों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर तुरंत वन अधिकारियों को सूचित करने के लिए भी कहा गया है।