CM हेमंत बोले- कोरोना काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनीं बैंक वाली दीदियां

Edited By Diksha kanojia, Updated: 10 May, 2021 07:23 PM

bank legends became the backbone of the rural economy in corona

इनके माध्यम से घर बैठे जरुरतमंदों को विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन एवं मनरेगा मजदूरी प्राप्त हो रही है। इस कारगर व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी अब हर पंचायत में एक बी.सी.सखी नियुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत...

 

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आग्रह पर संक्रमण के इस दौर में बैंकिंग सेवाएं राज्य के ग्रामीणों के दरवाजे तक पहुंचाने में बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी (बी.सी.सखी) सहायक हो रही हैं। गांव में बैंक वाली दीदी के नाम से प्रचलित ये दीदियां संक्रमण काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो रही हैं।

इनके माध्यम से घर बैठे जरुरतमंदों को विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन एवं मनरेगा मजदूरी प्राप्त हो रही है। इस कारगर व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी अब हर पंचायत में एक बी.सी.सखी नियुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत मगनपुर पंचायत की अंजुम आरा ने लॉकडाउन के समय अबतक तकरीबन 46 लाख रुपए से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया है। अंजुम बताती है कि उन्होंने अपनी पंचायत के साथ आसपास की अन्य पंचायतों के लोगों को भी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। पिछले लॉकडाउन में भी उन्होंने लगातार लोगों को बैंकिंग की सेवाएं दी थी।

अंजुम के अनुसार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के दौरान भी वह सावधानी से लोगों के घर तक बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचा रहीं हैं। ऐसे ही खूंटी जिले के करर प्रखंड की सोनिया कंसारी भी अपनी पंचायत के लोगों तक निरंतर पैसा जमा-निकासी से लेकर बीमा तक की सभी सेवाएं घर-घर जाकर प्रदान कर रही हैं। वह हर महीने 25-30 लाख रुपए तक का ट्रांजेक्शन कर लेती हैं।
 

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